Bihar Board Class 10 Geography Notes Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग

 


Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Notes

  • प्रकृति के द्वारा प्रदान किए गये सभी पदार्थ या वस्तएँ जो मनुष्य के जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति तथा सुख-सुविधा प्रदान करने के लिए उपयोगी होते हैं, उन्हें संसाधन कहा जाता है।
  • प्रकृति द्वारा प्रदान किए गये संसाधन विभिन्न प्रकार के होते हैं। इन संसाधनों का बहुत अधिक महत्व है।
  • मनुष्य भी एक संसाधन के रूप में है, मनुष्य का शरीर स्वयं सबसे बड़ा संसाधन है, क्योंकि इससे जीवन के विभिन्न कार्य किए जाते हैं।।
  • मनुष्य सभी प्रकार के संसाधनों के निर्माता के रूप में माना जाता है।
  • मानव की परिसंपत्ति बनने वाली सभी वस्तुएँ तथा मानव स्वयं भी संसाधन के अन्तर्गत आते हैं।
  • मनुष्य की इच्छाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले सभी पदार्थ संसाधन कहलाते हैं, मनुष्य अपने जीवन को सुखी बनाने तथा अपने आर्थिक विकास के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग करता है, उनका निर्माण कुछ मूलभूत पदार्थों से होता है। इन मूलभूत पदार्थों को ही संसाधन कहा जाता है।
  • संसाधन के दो वर्ग हैं—प्राकृतिक संसाधन और मानव संसाधन।
  • भूमि, जल, वायु, वन, पशु तथा खनिज पदार्थ इत्यादि प्राकृतिक संसाधन हैं। साथ ही मनुष्य स्वयं अपनी कार्य-क्षमता, कुशलता तथा तकनीकी जानकारी इत्यादि के कारण संसाधन है।
  • जीव-मण्डल में मौजूद और इससे प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार के जीव जैसे पेड़-पौधे, पक्षी तथा मछलियाँ इत्यादि जैविक संसाधन हैं। वातावरण में उपस्थित सभी प्रकार के निर्जीव पदार्थ जैसे-खनिज, चट्टानें, पर्वत, नदियाँ तथा मिट्टी इत्यादि अजैविक संसाधन कहलाते हैं।
  • वातावरण में उपलब्ध सूर्य का प्रकाश, वायु, तालाब, झीलें, नदियाँ, समुद्र, पेड़-पौधे तथा मछलियाँ इत्यादि नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।
  • ऐसे संसाधन जिनका संचित भण्डार सीमित है तथा इन्हें अल्पकाल में कृत्रिम रूप से पुनः बनाना असंभव है, तो ऐसे संसाधनों को अनवीकरणीय संसाधन कहा जाता है, ऐसे संसाधनों के एक बार समाप्त हो जाने के बाद पुनः इन्हें प्राप्त करना संभव नहीं है। धात्विक पदार्थ अनवीकरणीय संसाधन हैं, जैसे-कोयला, लोहा, ताँबा तथा पेट्रोलियम इत्यादि।
  • कृषि भूमि, मकान, मोटरकार, मोटर साइकिल तथा मोबाइल इत्यादि निजी संसाधन हैं।
  • सामुदायिक संसाधन वे संसाधन हैं जिनका उपयोग समुदाय, गाँव तथा नगर के सभी लोगों के लिए उपलब्ध रहता है, जैसे—चारागाह, खेल का मैदान, विद्यालय, पर्यटन स्थल तथा पंचायत भवन इत्यादि सामुदायिक संसाधन हैं।
  • ऐसे सभी संसाधन जिनका उपयोग किया जा सके, भले ही उचित तकनीक, अर्थाभाव या . अन्य किसी कारण से उनका उपयोग नहीं होता हो, संभाव्य संसाधन कहे जाते हैं।
  • जिन संसाधनों को ढूंढकर उनका उपयोग किया जाता है, उन्हें ज्ञात संसाधन कहते हैं।
  • जिन संसाधनों का भण्डार पृथ्वी के अन्दर रहता है जिन्हें आधुनिक तकनीक के आधार पर खोदकर निकाला जाता है उन्हें भण्डारित संसाधन कहते हैं।
  • कुछ संसाधन जिनके उपयोग करने की तकनीक ज्ञात हो परन्तु और सस्ती तकनीक के अभाव अथवा अन्य कारणों से उनका उपयोग वर्तमान में न होता हो तथा भविष्य में उपयोग करना संभव हों उन्हें संचित संसाधन कहते हैं।
  • संसाधन का महत्व तभी तक है जबतक इसका समुचित और व्यापक रूप से उपयोग संभव होता है।
  • संसाधनों के उपयोग के सिलसिले में समय-समय पर विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास किए गये हैं। इन प्रयासों के चलते विश्व में संसाधनों के समुचित उपयोग करने की नयी जागृति उत्पन्न हुयी है।
  • संसाधन सीमित हैं और उनका वितरण असमान है। अतः उनके समुचित उपयोग के लिए नियोजन आवश्यक है। नियोजन एक तकनीक है, बुद्धि-विवेक का काम है।
  • संसाधन नियोजन की तीन अवस्थाएँ हैं-प्रारंभिक तैयारी, मूल्यांकन और अधिकाधिक उपयोग में लाने की योजना।
  • मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों की सृष्टि नहीं कर सकता है इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि उनका उपयोग नियोजित रूप में होना चाहिए जिससे भविष्य में भी सतत उपयोग के लिए मिलती रहे है।
  • संसाधनों का उपयोग इस तरह होना चाहिए कि पूरे क्षेत्र का संतुलित विकास हो सके।
  • संसाधनों के संरक्षण का अर्थ संसाधनों का अधिक-से-अधिक मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक-से-अधिक उपयोग करना है।
  • प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता समझते हुये हम लोगों को इनके नियोजन पर ध्यान देना चाहिए।
  • भारत के विकास के लिए संसाधनों का नियोजन समुचित रूप से करना चाहिए। तभी देश का आर्थिक विकास हो सकता है।
  • संसाधनों का योजनाबद्ध, समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग ही उनका संरक्षण कहलाता है।
  • प्राकृतिक संसाधनों का योजनाबद्ध और विवेकपूर्ण उपयोग करने से उनसे अधिक दिनों तक लाभ उठाया जा सकता है और वे भविष्य के लिए संरक्षित रह.सकते हैं।
  • प्रकृति की वस्तुओं का अधिक-से-अधिक उपयोग करने के लिए नियोजन की आवश्यकता है। संसाधनों का मूल्यांकन उपयोग और संरक्षण योजनाबद्ध तरीके से करना आवश्यक है। सतत पोषणीय विकास एक ऐसा विकास है जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता की पूर्ति को बिना प्रभावित किए हुए वर्तमान पीढ़ी अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।
  • भारत और विशेष रूप से बिहार में सतत पोषणीय विकास की अवधारणा को अवश्य अपनाना चाहिए तभी अर्थव्यवस्था का समुचित विकास हो सकता है।


Bihar Board Class 10 Geography प्राकृतिक संसाधन Notes

  • भारत में कुल उपलब्ध भूमि का लगभग 43 प्रतिशत भाग पर मैदान का विस्तार है, जो बारहमासी नदियों को सुनिश्चित करता है। 27 प्रतिशत भूभाग पठार के रूप में विस्तृत है, जहाँ खनिज, जीवाश्म, ईंधन एवं वन सम्पदा के कोष संचित हैं।
  • भारत में छः प्रमुख प्रकार की मृदा पाई जाती है (i) जलोढ़ मृदा (ii) काली मृदा (iii) लाल एवं पीली मृदा (iv) लैटेराइट मृदा (v) मरुस्थलीय मृदा (vi) पर्वतीय मृदा।
  • भूक्षरण के कारण निम्न हैं-वनोन्मूलन, अतिपशुचारण, खनन, रसायनों का अत्यधिक उपयोग इत्यादि।
  • भूक्षरण रोकने या मृदा संरक्षण के उपाय निम्न हैं-
    वृक्षारोपण, फसलचक्रण, समोच्च कृषि, पट्टिका कृषि, जैविक खाद का उपयोग इत्यादि।
  • भूमि एक प्रकृति-प्रदत्त संसाधन है, क्योंकि प्रकृति ने ही भूमि की सृष्टि की है।
  • मनुष्य भूमि-संतान है, क्योंकि भूमि पर ही मनुष्य अपनी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए क्रियाकलाप करता है।
  • भूमि एक महत्वपूर्ण प्रकृति-प्रदत्त संसाधन है। भूमि पर ही मिट्टी मिलती है जिसमें कृषि की जाती है। साथ ही भूमि पर ही मानव आवास मिलता है। गाँव-नगर बसते हैं। पशुपालन का काम होता है और वाणिज्य-व्यवसाय, उद्योग-धन्धे चलते हैं।
  • भूमि पर ही आने-जाने के लिए मार्ग उपलब्ध होते हैं।
  • भूमि के गर्भ में ही सभी खनिज-पदार्थ के भण्डार पाए जाते हैं जिन्हें आधुनिक तकनीक  के आधार पर उन्हें भूमि से निकाला जाता है।
  •  विश्व-स्तर पर कृषि-भूमि का 11.9 प्रतिशत भाग भारत के पास है जिसका समुचित उपयोग करके खाद्यान्न फसलों तथा व्यावसायिक फसलों को उपजाया जाता है।
  • भूमि मनुष्य के आर्थिक विकास का आधार है। क्योंकि भूमि पर ही कृषि-कार्य किए जाते हैं, उद्योग के क्षेत्र और व्यापार-केंद्र भी भूमि पर ही अवस्थित हैं। खनिज क्षेत्र भूमि पर ही पाए जाते हैं।
  • विश्व में 1137 करोड़ हेक्टेयर भूमि कृषि-कार्य के लिए उपयुक्त है जो कि विश्व के विभिन्न देशों में उपलब्ध है।
  • भारत के भू-भाग का क्षेत्रफल 32.87 करोड़ हेक्टेयर है। इसमें 47% भूमि पर कृषि कार्य की जाती है।
  • भूमि की उर्वरा-शक्ति बनाए रखने के लिए उसका संरक्षण करना भी आवश्यक है। भूमि का संरक्षण होने से सृष्टि की इस अनमोल देन को सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • उपयोग के आधार पर भूमि को पाँच वर्गों में बाँटा जा सकता है-(i) वन-क्षेत्र (ii) निवल ‘बोई भूमि (iii) परती भूमि के अतिरिक्त अन्य बिना जोती जानेवाली भूमि (v) अकृषीय भूमि।
  • भारत के राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि का योगदान 22% है तथा रोजमार के अवसर में इसका योगदान 65% है।
  • भारत के चार राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल बहुत अधिक है और इनकी अधिकांश भूमि पर खेती की जाती है।
  • जलवायु की दशायें भूमि उपयोग को प्रभावित करती हैं। मैदानी भूमि पर भी अनुकूल जलवायु न मिले तो कृषि-कार्य सुचारु रूप से नहीं किया जा सकता है।
  • छोटे राज्यों पंजाब और हरियाणा की प्रायः 80% भूमि पर फसलें उगायी जाती हैं।
  • उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में 10% भूमि पर ही कृषि-कार्य की जाती है।
  • पहाड़ी भूमि की अपेक्षा मैदानी भूमि का उपयोग अधिक होता है। मैदानी भूमि में लोग अधिक रहते हैं।
  • नेशनल रिमोट सेंसिग एजेंसी (NRSA) हैदराबाद के अनुसार भारत में 533 लाख हेक्टेयर भूमि व्यर्थ है।
  • भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20.60% वन क्षेत्र हैं।
  • भारत सरकार की वन नीति के अनुसार कम-से-कम 33% भू-भाग वनाछादित रहना चाहिए।
  • भूमि उपयोग का प्रारूप भू-आकृतिक स्वरूप जलवायु मिट्टी और मानव प्रश्नों के अन्तसंबंधों का परिणाम होता है।
  • पारिस्थितिक संतुलन के दृष्टिकोण से एक-तिहाई भूमि पर वनों का वितरण होना चाहिए। लेकिन भारत के कितने ही राज्य में नाममात्र के वन हैं। इसलिए वन-क्षेत्र के भूमि को बढ़ाना चाहिए। यानी वन-क्षेत्र को बढ़ाना चाहिए।
  • भूमि पर बढ़ते हुए जनसंख्या के दबाव को देखते हुए भूमि उपयोग की योजना बनाना आवश्यक है।
  • प्रति वर्ष भारत की जनसंख्या बढ़ जाने के कारण प्रति व्यक्ति भूमि की कमी होती जा रही है। कल-कारखानों के बढ़ने तथा नगरों के विकास से भी भूमि का ह्रास हुआ है। इसलिए भूमि के बढ़ते ह्रास को रोकना आवश्यक है।
  • भारत में लगभग 13 करोड़ हेक्टेयर भूमि का निम्नीकरण हुआ है। इससे भूमि के ह्रास की स्थिति उत्पन्न हुयी है।
  • भारत की क्षतिग्रस्त भूमि लगभग 13 करोड़ हेक्टेयर है। इसका 28% वन भूमिक्षरण से, 10% पवन अपरदन से, 56% जल से और शेष 6% लवण तथा क्षारीय निक्षेपों से प्रभावित है।
  • भारत में भूमि के ह्रास को रोकने के लिए कुछ उपाय करना चाहिए, जैसे-उपजाऊ भूमि पर कल-कारखाने और मकान नहीं बनाना चाहिए, जनसंख्या की वृद्धि दर में कमी लाना चाहिए, भूमि के कटाव को रोकना चाहिए, प्राकृतिक आपदाओं से भूमि की रक्षा करनी चाहिए पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर और पेड़ लगाकर भूमि के ह्रास को रोका जा सकता है।
  • पृथ्वी की ऊपरी सतह जिस पर वनस्पतियाँ उगती हैं, कृषि-कार्य किया जाता है, उसे मिट्टी कहा जाता है।
  • मृदा एक सजीव पदार्थ है, क्योंकि इसमें अनेक जैविक पदार्थों का निवास है।
  • मृदा पृथ्वी का नैसर्गिक आवरण है जिसमें चट्टानों और खनिजों के सूक्ष्म कण, नष्ट हुयी वनस्पतियाँ, अनेक जीवित सूक्ष्म पदार्थ, छोटे जीव और कार्बनिक पदार्थ उपस्थित रहते हैं।
  • मिट्टी के कई वर्ग हैं जो उत्पत्ति और गुणों के आधार पर प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • मृदा निर्माण के विभिन्न कारक होते हैं, जैसे-खनिजों का छोटे कण में बदलना, रासायनिक प्रक्रिया इत्यादि।
  • मृदा निर्माण के पाँच मुख्य घटक हैं (i) स्थानीय जलवायु, (ii) पूर्ववर्ती चट्टानें और खनिज कण (iii) वनस्पति और जीव (iv) भू-आकृति और ऊँचाई (v) मिट्टी बनने का समय।


Bihar Board Class 10 Geography जल संसाधन Notes

  • पृध्वी अश्वी पर जल के स्रोत निम्न हैं –
    (i) भू-पृष्ठीय जल (ii) भूमिगत जल (iii) वायुमंडलीय जल (iv) महासागरीय जल।
  • भारत में विश्व की 16% आबादी निवास करती है और इसके लिए मात्र 4% जल ही उपलब्ध हैं
  • भारत में कुल भू-पृष्ठीय जल का लगभग 2/3 भाग देश की तीन बड़ी नदियों सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र में प्रवाहित है।
  • ब्रह्मपुत्र एवं गंगा विश्व की 10 बड़ी नदियों में से हैं। इन नदियों को विश्व की बड़ी नदियों में क्रमशः 8वाँ एवं 10वां स्थान प्राप्त है।
  • प्राणियों में 65% तथा पौधों में 65-99% जल का अंश विद्यमान रहता है।
  • स्वीडेन के एक विशेषज्ञ फॉल्कन मार्क के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन एक हजार घन लीटर जल की आवश्यकता है। इससे कम जल उपलब्धता जल संकट है।
  • वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग 22% भाग जल विद्युत से प्राप्त होता है।
  • पृथ्वी की तीन-चौथाई भाग जल से ढंका है जिसमें अधिकांश जल लवणीय है।
  • जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी को नीला ग्रह कहा जाता है।
  • विश्व के कुल जल आयतन का 96.6% जल महासागरों में ही पाया जाता है। उनमें मात्र 2.5% प्रतिशत ही अलवणीय (मृदु) जल है।
  • जल एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संसाधन है। इसका उपयोग घरेलू कार्यों के अतिरिक्त पन-बिजली के उत्पादन और परिवहन के लिए किया जा रहा है।
  • जल दो प्रकार का होता है-मीठा जल और खारा जल। नदी एवं तालाब का जल मीठा होता है। साथ ही वर्षा का जल भी मीठा होता है। जो पीने योग्य है जबकि समुद्र का जल खारा होता है।
  • दक्षिणी गोलार्द्ध को जल गोलार्द्ध एवं उत्तरी गोलार्द्ध को स्थल गोलार्द्ध कहा जाता है।
  • पृथ्वी पर जल के स्रोत निम्न हैं (i) भू-पृष्ठीय जल (ii) भूमिगत जल (iii) वायुमण्डलीय जल (iv) महासागरीय जला
  • मीठे जल की सबसे बड़ी झील सुपीरियर झील और सबसे गहरी झील बैकाल झील है। जबकि सबसे ऊँची झील टिटिकाका है
  • खारे जल की सबसे बड़ी झील कैस्पियन सागर और सबसे गहरी झील मृत सागर है।
  • भारत में विश्व की 16% आबादी निवास करती है और इसके लिए मात्र 4% जल ही उपलब्ध है।
  • जल में कुल भू-पृष्ठीय जल का लगभग 2/3 भाग देश की तीन बड़ी नदियों सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र में प्रवाहित है।
  • * ब्रह्मपुत्र एवं गंगा विश्व की 10 बड़ी नदियों में से है। इन नदियों को विश्व की बड़ी नदियों में क्रमशः 8वां एवं 10वां स्थान प्राप्त है। ‘
  • गंगा नदी का जल विश्व में सबसे अधिक पवित्र माना जाता है, लेकिन वर्तमान समय में यह प्रदूषित हो रहा है।
  • जल ही जीवन है। इसलिए जीव-जगत के लिए जल एक अनिवार्य संसाधन है।
  • जल सतह पर उपलब्ध है और भूमि के अन्दर भी। भूमिगत जल प्राप्त करने के लिए कुआँ आदि खोदना पड़ता है।
  • हमारे देश में जल के प्रमुख स्रोत हैं-वर्षा, झरना, नदी, हिमनद (हिमालय क्षेत्र में), कुआं, तालाब, झोल आदि।
  • 2005 तक विश्व के अनेक देशों में जल का अभाव होने की संभावना है। यह समस्या भारत में भी उत्पन्न हो सकती है।
  • वर्तमान समय में जल प्रदूषण की एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो चुकी है जिससे हमारा भौतिक पर्यावरण बिगड़ रहा है और मानव जीवन के लिए भी यह एक गंभीर समस्या है।
  • प्राणियों में 65% एवं वनस्पतियों में 65-99% जल का अंश विद्यमान होता है।
  • नदियों के जल का उपयोग नदियों पर बाँध बनाकर किया जाता है। मैदानी इलाकों में ही नदियों से अधिकतर नहरें निकाली गयी हैं।
  • पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नदी का उपयोग सिंचाई के लिए बहुत अधिक हुआ है। दक्षिण भारत में नदियों के डेल्टा भाग में अधिक नहरें बनायी गयी हैं।
  • भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का 16% है, लेकिन जल संसाधन के मामले में इसके पास विश्व के कुल जल संसाधन का मात्र 4% उपलब्ध है।
  • बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में मुख्यतः सिंचाई की सुविधाएँ प्राप्त हुयी हैं और जल-विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।
  • मत्स्योद्यम का विकास देश के जलाशयों में किया जाता है। साथ ही तटीय भाग में सटे समुद्रों में भी किया जाता है।
  • झील, तालाब एवं अन्य जलाशय देश के विभिन्न भागों में हैं। उनका जल भी उपयोग में लाया जाता है। तालाबों की अधिक संख्या दक्षिण भारत में (पठारी भाग में) है।
  • ग्लेशियर गर्मी में पिघलकर नदियों को जल प्रदान करते हैं। भारत में इसका क्षेत्र उच्च हिमालय है, हिमालय की चोटियाँ हिमाच्छादित हैं और वे पिघलकर नदियों को जलपूरित रखती हैं।
  • भारत में कई प्रमुख बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजनाएँ हैं जैसे- दामोदर घाटी परियोजना, भाखड़ा नांगल परियोजना, हीराकुंड परियोजना, कोसी परियोजना, चंबल घाटी परियोजना, तुंगभद्रा परियोजना, नागार्जुन सागर परियोजना, नर्मदा घाटी परियोजना, इंदिरा गाँधी परियोजना तथा सोन परियोजना।
  • सतलज नदी पर एशिया का सबसे ऊंचा और विश्व का दूसरा सर्वोच्च परियोजना भाखड़ा नांगल परियाजना है।
  • कोसी परियोजना तथा सोन परियोजना प्रमुख बिहार की नदीघाटी परियोजनाएँ हैं।
  • स्वीडन के एक विशेषज्ञ फॉल्कन मार्क के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन एक हजार घन लीटर जल की आवश्यकता है। इससे कम जल उपलब्धता जल संकट है।


Bihar Board Class 10 Geography वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Notes

  • वन उस बड भूभाग को कहते हैं जो पेड़ पौधों एवं झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं।
  • F.A.O. (Food and Agriculture Organisation) की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में 4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र था जो 1963 में घटकर 3.8 अरब हेक्टेयर हो गया और 1990 में 3.4 अरब हेक्टेयर वनक्षेत्र बच गया। किन्तु 2005 में यह पुनः 3.952 अरब हेक्टेयर हो गया है।
  • 2005 तक F.S.I. के रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल 67.71 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र है जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20.60 प्रतिशत है।
  • देश के कुल वनाच्छादित क्षेत्र का 25.11 प्रतिशत वन क्षेत्र पूर्वोत्तर के सात राज्यों में है।
  • देश में वनाच्छादित क्षेत्र के मामले में मध्यप्रदेश का स्थान प्रथम है जहाँ देश के कुल वनाच्छादित क्षेत्र का 11.22% वन है।
  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए यहाँ 58 राष्ट्रीय उद्यान, 448 अभ्यारण्य एवं 14 सुरक्षित जैव मंडल रिजर्व क्षेत्र हैं।
  • विश्व के 65 देशों में करीब 243 सुरक्षित जैव-मंडल क्षेत्र हैं।
  • वन को बचाने के लिए उत्तरांचल के टेहरी-गढ़वाल जिले में सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में 1972 ई. से चिपको आन्दोलन चलाया जा रहा है।
  • वन एक प्राकृतिक नवीकरणीय संसाधन है, क्योंकि नष्ट होने पर इसे पुनः उगाया जा सकता है और इसकी पूर्ति की जा सकती है।
  • वन हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति है और आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • वन उस बड़े भू-भाग को कहते हैं जो पेड़ एवं झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं।
  • FA.O.(Food and Agriculture Organisation) की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में 4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र था जो 1963 में घटकर 3.6 अरब हेक्टेयर हो गया और 1990 में 3.4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र बच गया। किन्तु 2005 में यह पुन: 3.952 अरब हेक्टेयर हो गया है।
  • वन से मानव को कई लाभ हैं।
  • औद्योगिक क्रांति के बाद वनों का बड़े पैमाने पर ह्रास हुआ है।
  • वन से प्राप्त उत्पादों के दो वर्ग हैं-(क) मुख्य उत्पाद और (ख) गौण उत्पाद।
  • प्लाईवुड का निर्माण जर्मनी में शुरू हुआ।
  • भारत में वनस्पतियों की लगभग 47,000 उपजातियाँ पायी जाती हैं जिनमें 15,000 भारतीय मूल की हैं।
  • भारत में लगभग 6,77,088 वर्ग किलोमीटर भूमि पर वन का विस्तार है।
  • राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार देश की 33.3% भूमि पर वन का विस्तार होना आवश्यक है।
  • वन नीति के छह प्रमुख उद्देश्य हैं -(i) वन संपत्ति की सुरक्षा (ii) पर्यावरण को संतुलित बनाना (iii) भूमि-कटाव को रोकना (iv) बाढ़-नियंत्रण (v) मरुस्थल विस्तार को रोकना (vi) लकड़ियों की आपूर्ति बनाए रखना।
    प्रमुख उत्पाद वाले वनों में देवदार, शीशम, साल तथा चीड़ इत्यादि के पेड़ पाये जाते हैं।


Bihar Board Class 10 Geography खनिज संसाधन Notes

  • खनिज निश्चित अनुपात में रासायनिक एवं भौतिक विशिष्टताओं के साथ निर्मित एक प्राकृतिक पदार्थ है।
  • भारत में लगभग 100 से अधिक खनिज पाये जाते हैं।
  • धरती खोदकर निकाले गये धात्विक तथा अधात्विक पदार्थ खनिज संसाधन के अन्तर्गत आते हैं, जैसे-लोहा, सोना, कोयला, अबरख।
  • खनिजों प्रकृति में स्वतः बनती हैं। विशिष्ट खनिजों के संयोजन से चट्टान विशेष का निर्माण होता है।
  • निम्न खनिजों से धातुओं का व्यापारिक उत्पादन या निष्कासन होता है, उन्हें अयस्क (Ore)कहा जाता है। ।
  • भारत में लगभग 3,000 खानें हैं।
  • गोवा से कानपुर के बीच सीधी रेखा खींचने पर इस रेखा के पूर्वी भाग में भारी धात्विक खनिजों की तथा पश्चिमी भाग में अधात्विक खनिजों की प्रधानता मिलती है।
  • भारत के प्रमुख खनिज क्षेत्र हैं- (i) पूर्वी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र (ii) पश्चिमोत्तर क्षेत्र (iii) दक्षिणी क्षेत्र।
  • भारत में खनिजों की खोज एवं विकास से जुड़े संगठन हैं- (i) भारतीय भूगर्भिक सर्वेक्षण संस्थान (ii) भारतीय खान व्यूरो (iii) भारतीय खनिज अन्वेषण निगम (iv) परमाणु खनिज विभाग (v) इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (vi) तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग।
  • कर्नाटक भारत का लगभग एक चौथाई लोहा उत्पादन करता है।
  • एंथ्रासाइट सर्वोच्च कोटि का कोयला है जिसमें 90% से अधिक कार्बन की मात्रा पायी जाती है।
  • जम्मू और कश्मीर में कालाकोट से कोयला निकाला जाता है।
  • लौह अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कर्नाटक है।
  • मैंग्नीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उड़ीसा है।
  • बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उड़ीसा है।
  • बिहार-झारखण्ड भारत का 80% अभ्रक का उत्पादन करता है।
  • धात्विक खनिजों में मैंग्नीज अयस्क, क्रोमाइट, निकेल, कोबाल्ट, लौह अयस्क और ताँबा, सोना, बॉक्साइट,टिन अलौह अयस्क हैं।।
  • प्रायः सभी धात्विक खनिज अयस्क के रूप में पाए जाते हैं जिन्हें उपयोग में लाने के लिए शुद्ध करना पड़ता है।
  • मैग्नेटाइट में चुम्बक का गुण होता है।
  • मेघाहाता विश्व में लौह अयस्क की सबसे बड़ी खान है। यह उड़ीसा में स्थित है।
  • बेलाडिला आधुनिक यंत्रों और मशीनों से सुसज्जित एशिया की सबसे बड़ी खान है।
  • विश्व के लौह अयस्क उत्पादक देशों में भारत का स्थान पाँचवाँ है।
  • लौह अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य-कर्नाटक है।
  • मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य-उड़ीसा है।
  • बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य-उड़ीसा है।
  • बिहार-झारखंड भारत का 80% अभ्रक का उत्पादन करता हैl

Bihar Board Class 10 Geography शक्ति (ऊर्जा) संसाधन Notes

  • शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुआ।
  • आज शक्ति अथवा ऊर्जा के स्रोत ही विकास एवं औद्योगिकीकरण का आधार है।
  • कोयला, पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस, जल विद्युत एवं आण्विक ऊर्जा स्रोतों को “वाणिज्य ऊर्जा स्रोत” कहा जाता है।
  • कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं जबकि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा, बायोगैस एवं जैव ऊर्जा गैर-परंपरागत स्रोत हैं।
  • गुजरात के कच्छ में ताम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है।
  • भाखड़ा-नंगल परियोजना भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है।
  • 1901 में भारत का प्रथम तेलशोधक कारखाना असम के डिग्बोई में स्थापित हुआ।
  • तारापुर परमाणु विद्युत गृह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है।
  • शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुआ।
  • आज शक्ति अथवा ऊर्जा के स्रोत ही साधन एवं औद्योगिकीकरण का आधार है।
  • परम्परागत ऊर्जा के साधन – कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत, प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा हैं।
  • गैर-परम्परागत ऊर्जा के साधन-पवन, सूर्य किरण, भूताप, समुद्री ज्वार, जैव पदार्थ हैं।
  • जल विद्युत उद्योगों के विकेंद्रीकरण में सहायक है।
  • जलशक्ति को शक्ति का स्थायी स्रोत माना जाता है।
  • भारत के प्रमुख शक्ति एवं उत्पादक केंद्रों के नाम हैं
    (i) तापीय शक्ति बोकारो, चंद्रपुरा, दुर्गापुर, कहलगाँव, बरौनी, कोरबा, सिंगरौली, रामागुंडम, फरक्का , तालचर, पतरातू, ओवरा, दादरी। (ii) जलविद्युत शक्ति तिलैया, मैथन, पंचेत, कोयना, इडिक्की, पायकारा, मेडुर, मसान जोर, शिवसमुद्रम, उकाई, गाँधी सागर, नागार्जुन सागर। (ii) परमाणु शक्ति–तारापुर, कोटा, कलपक्कम, नरोरा, कैगा।
  • भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं-
  • (i) गोंडवानाकालीन कोयला क्षेत्र-झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र!
    (ii) टर्शियरीकालीन कोयला क्षेत्र असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु।Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1E शक्ति (ऊर्जा) संसाधन - 1

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