Bihar Board Class 10 Science Subjective Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

 

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्त नियम लिखिए। (2009, 11, 13, 15, 16, 17)
उत्तर:
आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।

प्रश्न 2.
मेन्डेलीफ के आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियम में क्या मौलिक अन्तर है?
उत्तर:
मेन्डेलीफ का आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु भारों पर आधारित है, जबकि आधुनिक आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु क्रमांकों पर आधारित है।

प्रश्न 3.
क्षारीय मृदा तत्त्व क्या होते हैं ? या क्षारीय मृदा तत्त्व पर टिप्पणी लिखिए। (2009)
उत्तर:
II A समूह के तत्त्वों को क्षारीय मृदा तत्त्व कहते हैं; क्योंकि इस समूह के तत्त्वों के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं तथा मृदा के समान अगलनीय होते हैं।

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प्रश्न 4.
किसी एक क्षारीय ऑक्साइड तथा उदासीन ऑक्साइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
क्षारीय ऑक्साइड-MgO, उदासीन ऑक्साइड-COl

प्रश्न 5.
किस वर्ग के ऑक्साइड प्रबल क्षारीय एवं किस वर्ग के प्रबल अम्लीय होते हैं? (2013)
उत्तर:
IA वर्ग के ऑक्साइड प्रबल क्षारीय तथा VII A वर्ग के ऑक्साइड प्रबल अम्लीय होते हैं।

प्रश्न 6.
ns2p3 सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास वाले तत्त्वों का आधुनिक आवर्त-सारणी में समूह निर्धारित कीजिए और इनके एक ऑक्सी-अम्ल का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
आधुनिक आवर्त सारणी में इनका समूह VA होगा तथा इनके ऑक्सी-अम्ल का सूत्र HMO, होगा, जहाँ M, VA समूह का कोई तत्त्व है।

प्रश्न 7.
आवर्त-सारणी के किस ब्लॉक में नाइट्रोजन को रखा गया है? कारण देते हुए समझाइए।
उत्तर:
नाइट्रोजन को आवर्त-सारणी के p-ब्लॉक में रखा गया है; क्योंकि नाइट्रोजन में अन्तिम इलेक्ट्रॉन p-ऑर्बिटल में भरते हैं।

प्रश्न 8.
परमाणु क्रमांक 16 वाले तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, आवर्तसारणी में स्थान एवं इसके हाइड्राइड का सूत्र लिखिए। (2009)
उत्तर:
इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 6 है। चूंकि इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में तीन आवर्त हैं तथा अन्तिम कोश में 6 इलेक्ट्रॉन हैं, अतः यह तृतीय आवर्त के षष्ठम समूह में स्थित है। इसके हाइड्राइड का सूत्र H2S है।

प्रश्न 9.
परमाणु क्रमांक 19 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखकर तत्त्व का आवर्त एवं वर्ग संख्या तथा संयोजकता बताइए। (2015)
उत्तर:
परमाणु क्रमांक 19 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न होगा 2, 8, 8, 1 चूँकि इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में 4 आवर्त शामिल हैं तथा अन्तिम कक्षा में 1 इलेक्ट्रॉन है। अत: यह चतुर्थ आवर्त व प्रथम वर्ग का तत्त्व है। इसकी संयोजकता 1 होगी।

प्रश्न 10.
VA समूह के दो उपधातुओं का आवर्त में स्थान एवं नाम लिखिए।
उत्तर:
VA समूह के दो उपधातु आर्सेनिक व बिस्मथ हैं, जिनका आवर्त-सारणी में आवर्त क्रमशः चौथा व पाँचवाँ है।

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प्रश्न 11.
आवर्त-सारणी के VII A समूह के चार तत्त्वों के नाम व संकेत लिखिए।
उत्तर:
फ्लोरीन (F), क्लोरीन (Cl), ब्रोमीन (Br), आयोडीन (I)।

प्रश्न 12.
11Na तथा 12Mg में किस तत्त्व का आयनन विभव मान अधिक होगा ? कारण दीजिए। (2009)
उत्तर:
Mg का आयनन विभव मान अधिक होगा क्योंकि आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है और परमाणु का आकार कम होने लगता है जिससे परमाणु के आयनीकरण में अधिक ऊर्जा प्रयुक्त होती है जिससे आयनन विभव का मान बढ़ जाता है।

प्रश्न 13.
आवर्त-सारणी में एक ही आवर्त में परमाणु के आकार किस प्रकार परिवर्तित होते हैं व क्यों ?
उत्तर:
आवर्त-सारणी में एक ही आवर्त में परमाणु का आकार बायीं से दायीं ओर क्रमिक रूप से घटता है क्योंकि परमाणु की एक ही कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ने से उन पर नाभिक का आकर्षण बल बढ़ता जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डोबेराइनर के त्रिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2016)
उत्तर:
जर्मन प्रोफेसर डोबेराइनर ने सन् 1829 ई० में समान गुण-धर्म वाले तीन-तीन तत्त्वों के समूह बनाये। उन्होंने कहा – “यदि समान गुण वाले तत्त्वों को एक ही समूह में बढ़ते परमाणु भार के क्रम में रखा जाये तो पहले तथा तीसरे तत्त्व के परमाणु भारों का माध्य बीच के तत्त्व के परमाणु भार के बराबर होता है।” जैसे –
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प्रश्न 2.
न्यूलैण्ड का अष्टक नियम क्या है ? स्पष्ट कीजिए (2010, 16)
उत्तर:
न्यूलैण्ड ने सन् 1863 ई० में एक अष्टक नियम की स्थापना की। इस नियम के अनुसार – “यदि तत्त्वों को बढ़ते परमाणु भारों के क्रम में लिखा जाये तो हर आठवाँ तत्त्व अपने से पहले तत्त्व के समान गुणों वाला होगा।” यह नियम संगीत के अष्टक नियम से समानता रखता है। जैसे कि संगीत में आठवीं ध्वनि पहली ध्वनि के समान होती है, उसी प्रकार की समानता तत्त्वों में पायी जाती है।
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Li, Na और K के गुणों में समानता पायी जाती है; क्योंकि ये एक-दूसरे से आठवें तत्त्व हैं। इसी प्रकार Be, Mg और Ca; B, AI; C, Si; N, P; O, S और F, Cl के गुणों में समानताएँ पायी जाती हैं।

प्रश्न 3.
मेन्डेलीफ का आवर्त नियम क्या है? इसकी व्याख्या कीजिए। (2011, 13, 17)
उत्तर:
इस नियम के अनुसार, तत्त्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाण भारों के आवर्ती फलन होते हैं, अर्थात् तत्त्वों को उनके परमाणु भारों के बढ़ते क्रम में रखने पर समान गुणों वाले तत्त्व एक नियमित अन्तराल के बाद आते हैं।

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प्रश्न 4.
विकर्ण सम्बन्ध पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2014, 17) या विकर्ण सम्बन्ध क्या है ? विकर्ण सम्बन्ध को प्रदर्शित करने वाले दो तत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (2009, 15)
उत्तर:
आवर्त सारणी में दूसरे आवर्त के तत्त्व अगले समूह तथा तीसरे आवर्तके तत्त्वों के साथ गुणों में समानता प्रदर्शित करते हैं। चूँकि ये तत्त्व विकर्ण पर स्थित होते हैं; अतः इनके इस सम्बन्ध को विकर्ण सम्बन्ध कहते हैं –
उदाहरणार्थ:
दूसरे आवर्त के पहले समूह का तत्त्व लीथियम तीसरे आवर्त के द्वितीय समूह के तत्त्व मैग्नीशियम के साथ गुणों में समानता प्रदर्शित करता है।
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प्रश्न 5.
प्रारूपिक तत्त्व क्या हैं? इनकी विशेषताएँ लिखिए। (2009)
या प्रारूपिक तत्त्वों के मुख्य लक्षण लिखिए। इनके दो उदाहरण दीजिए।
या प्रारूपिक या निरूपक तत्त्व पर टिप्पणी लिखिए। (2014, 16)
उत्तर:
आवर्त-सारणी के तीसरे आवर्त के सभी तत्त्व प्रारूपिक तत्त्व कहलाते हैं। ये तत्त्व अपने-अपने समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तत्त्वों के गुण इनके समूह की संयोजकता व विद्युत रासायनिक लक्षणों को प्रकट करते हैं। ये तत्त्व अपने समूह के A तथा B उपवर्गों के मध्य सेतु का कार्य करते हैं। ये तत्त्व किसी एक उपसमूह के तत्त्व से अधिक समानता रखते हैं। I, II और III वर्ग के प्रारूपिक तत्त्व ‘A’ उपवर्ग के तत्त्वों के गुणों से अधिक समानता रखते हैं, जबकि V, VI व VII वर्ग के प्रारूपिक तत्त्व इन वर्गों के ‘B’ उपवर्गों के तत्त्वों के गुणों से अधिक समानता रखते हैं। उपर्युक्त से स्पष्ट है कि Na, Mg, AI, Si, P, S व Cl आदि प्रारूपिक तत्त्व हैं।
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प्रश्न 6.
दीर्घाकार आवर्त-सारणी द्वारा मेन्डेलीफ की संशोधित आवर्त-सारणी के दोषों को किस प्रकार दूर किया गया है? (2012)
उत्तर:
दीर्घाकार आवर्त सारणी द्वारा मेन्डेलीफ की आधुनिक संशोधित सारणी के बहुत से दोष दूर हो गये हैं।
उदाहरणार्थ:

  1. मेन्डेलीफ की आवर्त-सरणी में असमान गुणों वाले तत्त्वों को एक ही स्थान पर रखा गया था। उदाहरणार्थ: मेन्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में H, Li, Na, K, Rb, Cs तथा Fr को IA समूह में व Cu, Ag तथा Au को IB समूह में एक साथ एक ही ऊर्ध्वाधर कॉलम में रखा गया था, जबकि इनके गुणों में बहुत कम समानता होती है। दीर्घाकार आवर्त-सारणी में इन तत्त्वों को अलग-अलग स्थानों पर क्रमशः IA व IB उपवर्गों में रखा गया है।
  2. मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी में संक्रमण तत्त्वों को अलग-अलग स्थान पर रखा गया था। परन्तु दीर्घाकार आवर्त-सारणी में संक्रमण तत्त्व सारणी के मध्य में एक साथ रखे गये हैं।
  3. इस सारणी में प्रबल धात्वीय तत्त्वों को संक्रमण तत्त्वों के बायीं ओर तथा प्रबल अधात्वीय तत्त्वों को संक्रमण तत्त्वों के दायीं ओर रखा गया है।
  4. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर सभी लैन्थेनाइड व ऐक्टिनाइड तत्त्वों को आवर्त-सारणी के नीचे दो क्षैतिज पंक्तियों में रखा जाना उचित है। चूँकि इन दोनों श्रेणियों के तत्त्वों के इलेक्ट्रानिक विन्यासों में समानता है, अत: उन्हें एक स्थान पर एक साथ रखे जाना उचित है।

प्रश्न 7.
आवर्त-सारणी के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि Na2O, MgO, Al2O3, SiO2 में सबसे अधिक बेसिक (क्षारीय) गुण वाला ऑक्साइड कौन-सा है?
या निम्नलिखित में से किस तत्त्व का ऑक्साइड प्रबल क्षारीय होगा और क्यों? Na, Mg, A1 एवं si
उत्तर:
दिये गये सभी ऑक्साइड तृतीय आवर्त के (क्रमशः बायें से दायें चलने पर) तत्त्वों के ऑक्साइड हैं। चूँकि आवर्त में बायें से दायें चलने पर ऑक्साइडों का क्षारीय गुण घटता है। अत: Na2O सबसे अधिक बेसिक (क्षारीय) गुण वाला ऑक्साइड है।

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प्रश्न 8.
एक तत्त्व M आवर्त सारणी के दूसरे समूह में है। उसके ऑक्साइड एवं क्लोराइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
तत्त्व M दूसरे समूह में है। अत: इसकी संयोजकता 2 होगी तथा इसके ऑक्साइड व क्लोराइड के सूत्र क्रमश: MO व MCl2 होंगे।

प्रश्न 9.
1. निम्न तत्त्वों को विद्युत ऋणात्मकता के बढ़ते क्रम में लिखिए
16S,15P,17Cl
2. निम्न में से किस तत्त्व का ऑक्साइड प्रबल क्षारीय होगा?
Na, Mg, Al, Si
उत्तर:
1. क्योंकि किसी आवर्त में बायें से दायें चलने पर विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती जाती है। अत: दी गयी तत्त्वों की विद्युत ऋणात्मकता का बढ़ता हुआ क्रम निम्न प्रकार होगा
15P< 16S < 17Cl
2. Na का ऑक्साइड प्रबल क्षारीय होगा।

प्रश्न 10.
तत्त्व Mg आवर्त सारणी के द्वितीय समूह में है। यदि Mg का तुल्यांकी भार 12 है, तो तत्त्व का परमाणु भार ज्ञात करें। (2014)
हल:
चूँकि Mg आवर्त सारणी के द्वितीय समूह में है। अतः इसकी संयोजकता 2 होगी। परमाणु भार = संयोजकता x तुल्यांकी भार = 2 x 12 = 24

प्रश्न 11. 17Cl35 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए तथा आवर्त-सारणी में इसका स्थान भी लिखिए। या परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्त्व का आवर्त सारणी में वर्ग तथा आवर्त लिखिए। (2013, 14, 15, 16, 17)
उत्तर:
17Cl35 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 7 चूँकि इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में 3 कोश सम्मिलित हैं तथा इसके अन्तिम कोश में 7 इलेक्ट्रॉन हैं, अतः 17Cl35 आवर्त-सारणी में तृतीय आवर्त के सप्तम A समूह में स्थित है।

प्रश्न 12.
परमाणु संख्या 36 वाले तत्त्व का नाम लिखिए तथा आवर्त सारणी में इसका आवर्त बताइए। (2016)
उत्तर:
परमाणु संख्या 36 वाले तत्त्व का नाम क्रिप्टॉन है तथा यह आवर्त सारणी के चतुर्थ आवर्त का तत्त्व है।

प्रश्न 13.
आवर्त तथा वर्ग में परमाणु त्रिज्या का परिवर्तन किस प्रकार होता है? समझाइए। (2013, 15)
उत्तर:
आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है। नाभिक में आवेश बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर अधिक बल से खींचता है जिससे परमाणु का आकार घटता जाता है। वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर परमाणु आकार बढ़ता है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में एक कोश बढ़ जाता है।

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प्रश्न 14.
संक्रमण तत्त्वों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2014, 18)
या संक्रमण तत्त्व किसे कहते हैं? दीर्घाकार आवर्त-सारणी में उनका स्थान लिखिए।
या संक्रमण तत्त्व क्या हैं? इनके मुख्य लक्षण लिखिए।
उत्तर:
मेन्डेलीफ ने केवल आठवें समूह के तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व माना, परन्तु अब दीर्घाकार आवर्त सारणी में इस शब्द का प्रयोग उन सब तत्त्वों के लिए किया जाता है जो प्रारूपिक तत्त्वों से भिन्न होते हैं। इस प्रकार सभी B उपवर्गों तथा VIII समूह के तत्त्व संक्रमण तत्त्व हैं। संक्रमण तत्त्वों के निम्नलिखित अभिलाक्षणिक गुण होते हैं –

  1. ये रंगीन आयन बनाते हैं।
  2. ये उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं।
  3. ये परिवर्ती (variable) संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।
  4. ये संकीर्ण लवण बनाते हैं।
  5. इन तत्त्वों में समचुम्बकीयता पायी जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी के गुण तथा दोषों का उल्लेख कीजिए। (2011, 12, 13)
मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी (मूल) के लाभों का वर्णन कीजिए। (2017)
या मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के किन्हीं भी दो दोषों को लिखिए। (2017)
उत्तर:
मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी के लाभ/गुण या उपयोगिताएँ इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं –
1. तत्त्वों के गुणों के अध्ययन में सुविधा मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी से तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन सरल हो गया। चूँकि समान गुणों वाले तत्त्वों को एक ही समूह में रखा गया है, अत: किसी समूह के किसी एक तत्त्व के अध्ययन से उस समूह के अन्य तत्त्वों के गुणों का पर्याप्त सीमा तक ज्ञान हो जाता है।

2. तत्त्वों का सही परमाणु भार ज्ञात करने में सहायता सन् 1869 से पहले बेरीलियम का परमाणु भार 13.5 माना जाता था। बेरीलियम के गुण मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी के द्वितीय समूह के तत्त्व के गुणों के समान हैं। अत: मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में बेरीलियम द्वितीय समूह में स्थित होना चाहिए।

इस स्थिति में बेरीलियम का परमाणु भार लीथियम के परमाणु भार 7 तथा बोरॉन के परमाणु भार 11 के मध्य होना चाहिए। इससे मेन्डेलीफ ने निष्कर्ष निकाला कि बेरीलियम का परमाणु भार 13.5 नहीं है बल्कि 9.4 है। इसके बाद प्रयोगात्मक परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध हो गया कि बेरीलियम का परमाणु भार लगभग 9 है। इसी प्रकार मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी से कुछ अन्य तत्त्वों के सही परमाणु भार ज्ञात करने में सहायता मिली।

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3. नये तत्त्वों की खोज में सहायता मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी में कुछ स्थान रिक्त छोड़ दिये गये। ये रिक्त स्थान उन तत्त्वों से सम्बन्धित थे जिनकी खोज तब तक नहीं हुई थी। इन अज्ञात तत्त्वों के गुणों तथा परमाणु भारों की भविष्यवाणी कर दी गई थी। नये तत्त्वों की खोज के साथ-साथ इन रिक्त स्थानों की पूर्ति होती चली गयी तथा उनके गुण तथा परमाणु भार पहले की तत्त्वों का आवर्त वर्गीकरण 99 गयी भविष्यवाणी के अनुरूप थे जिससे इनकी खोज की पुष्टि हुई। स्कैण्डियम (Sc, परमाणु भार = 44.9), गैलियम (Ga, परमाणु भार = 69.7) तथा जर्मेनियम (Ge, परमाणु भार = 72.6) इसके उदाहरण हैं। इस प्रकार मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी से नये तत्त्वों की खोज तथा अनुसन्धान में सहायता मिली।

मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी के दोष इसके प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं –
1. अधिक परमाणु भार वाले तत्त्वों का कम परमाणु भार वाले तत्त्वों से पहले रखे जाना मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी में सभी तत्त्वों के परमाणु भारों के प्रयोगों द्वारा स्थापित मानों को रखने पर यह पाया गया कि कहीं-कहीं परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में परिवर्तन हो जाता है।
उदाहरणार्थ:
(i) मेन्डेलीफ ने टेल्यूरियम (Te) का परमाणु भार 125 तथा आयोडीन (I) का परमाणु भार 127 मानकर टेल्यूरियम को आयोडीन से पहले रखा। प्रयोगों द्वारा यह स्थापित हो गया कि टेल्यूरियम का परमाणु भार 127.6 है तथा आयोडीन का परमाणु भार 126.9 है। अत: ये दो तत्त्व मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में न होकर घटते हुए क्रम में हैं।

(ii) मेन्डेलीफ ने कोबाल्ट (Co) का परमाणु भार 59 माना तथा निकिल (Ni) का परमाणु भार 59 ही मानकर कोबाल्ट को निकिल से पहले रखा। प्रयोगों द्वारा स्थापित कोबाल्ट तथा निकिल के परमाणु भार क्रमश: 58.933 तथा 58.71 हैं। अतः ये दो तत्त्व भी मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में न होकर घटते हुए क्रम में हैं। मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार के परिवर्तन मेन्डेलीफ के मूल आवर्त नियम के विपरीत हैं।

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2. अनेक नये तत्त्वों के लिए उचित स्थान का अभाव अनेक नये तत्त्वों की खोज के बाद उनको मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में उचित स्थान नहीं मिल पाया; या तो उन्हें परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रखा जा सकता था; या उन्हें समान गुणों वाले तत्त्वों के समूह में रखा जा सकता था लेकिन ऐसा स्थान नहीं दिया जा सकता था कि परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम के साथ-साथ वे समान गुणों वाले तत्त्वों के समूह में भी हों। उदाहरणार्थ अक्रिय गैसें, दुर्लभ-मृदा तत्त्व आदि।

3. समस्थानिकों तथा समभारिकों का स्थान समस्थानिकों तथा समभारिकों की खोज के बाद यह स्पष्ट हो गया कि तत्त्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नहीं होता है। समस्थानिकों के परमाणु भार भिन्न होते हैं, परन्तु उनके गुण समान होते हैं। समभारिकों के परमाणु भार समान होते हैं, परन्तु उनके गुण भिन्न होते हैं। अतः मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में समस्थानिकों तथा समभारिकों को कोई स्थान नहीं दिया जा सकता है।

4. तत्त्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु क्रमांक है परमाणु संरचना व रेडियोऐक्टिवता की खोज के बाद यह स्थापित हो गया कि तत्त्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नहीं वरन् परमाणु क्रमांक है; अतः तत्त्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रख कर उनको वर्गीकृत करने का कोई औचित्य (justification) नहीं है।

प्रश्न 2
मेन्डेलीफ की आधुनिक संशोधित आवर्त-सारणी में आवर्तों के सामान्य लक्षण लिखिए।
या आवर्त-सारणी में आवर्तों के चार मुख्य लक्षण लिखिए। (2011, 16)
या आवर्त-सारणी में किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर निम्नलिखित गुणों में क्या परिवर्तन होता है ?

  1. विद्युत धनात्मक गुण
  2. धात्विक गुण
  3. ऑक्साइडों का क्षारीय गुण
  4. आयनन विभव। (2009, 15)

या आवर्त-सारणी के द्वितीय/तृतीय आवर्त में निम्नलिखित गुणों में किस प्रकार परिवर्तन होता है ? समझाइए।

  1. धात्विक गुण
  2. हाइड्रोजन से सम्बन्धित संयोजकता। (2009, 13)

या किसी आवर्त के दो गुण लिखिए। (2011)
उत्तर:
मेन्डेलीफ ने आवर्त-सारणी में सात क्षैतिज (Horizontal) खाने बनाये, जिन्हें उन्होंने आवर्त कहा। उन्होंने प्रथम तीन आवर्तों को लघु आवर्त कहा, क्योंकि इनमें कम तत्त्व होते हैं। शेष आवर्तों को दीर्घ आवर्त कहा, क्योंकि इनमें अधिक तत्त्व होते हैं। इनके सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं
1. संयोजकता में क्रमिक परिवर्तन लघु आवों में बाईं से दाईं ओर बढ़ने पर तत्त्वों की हाइड्रोजन के प्रति संयोजकता 1 से 4 तक बढ़ती है, तत्पश्चात् 4 से 1 तक घटती है। इन्हीं तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता 1 से 7 तक बढ़ती है; जैसे
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2. धात्विक गुण प्रत्येक आवर्त में बायें से दायें चलने पर धात्विक गुण घटता है तथा अधात्विक गुण बढ़ता जाता है; जैसे तृतीय आवर्त में,
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3. धन विद्युती गुण प्रत्येक आवर्त में बायें से दायें चलने पर तत्त्वों की धन विधुती प्रकृति क्रमश: घटती जाती है तथा ऋण विद्युती प्रकृति बढ़ती जाती है; जैसे-तृतीय आवर्त में,
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4. आयनन विभव लघु आवर्त में तत्त्वों का आयनन विभव (परमाणु से आयन बनने में लगने वाली ऊर्जा) बायीं से दायीं ओर बढ़ता जाता है।
5. घनत्व, क्वथनांक तथा गलनांक गुण यह आवर्त में बायीं से दायीं ओर बढ़ते हैं। आवर्त के मध्य में अधिकतम होकर पुनः घटते हैं।
6. ऑक्साइडों की अम्लीयता/क्षारीयता आवर्त में बायें से दायें चलने पर तत्त्वों के ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति घटती जाती है तथा अम्लीय प्रकृति बढ़ती जाती है; जैसे तृतीय आवर्त के ऑक्साइडों में,
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प्रश्न 3.
आवर्त-सारणी में वर्गों के चार मुख्य लक्षण बताइए। (2016)
या मेन्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में समूहों के सामान्य लक्षण लिखिए।
उत्तर:
संशोधित मेन्डेलीफ आवर्त-सारणी में I से लेकर VIII समूह तथा उसके उपरान्त 0 (शून्य) समूह है। इस प्रकार इस सारणी में 9 खड़े खाने या समूह हैं। एक ही समूह के तत्त्वों के गुणों में समानताएँ पायी जाती हैं। I समूह से VII समूह तक प्रत्येक समूह में कुछ तत्त्व बायीं ओर को (sub group ‘A’ में) तथा कुछ तत्त्व दायीं ओर को (sub group ‘B’ में) रखे गये हैं। प्रत्येक समूह के बायीं ओर के तत्त्वों के गुणों में परस्पर समानता पायी जाती है तथा दायीं ओर के तत्त्वों के गुणों में परस्पर समानता पायी जाती है।

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1. संयोजकता प्रत्येक समूह के सभी तत्त्वों की संयोजकता एक ही होती है। किसी वर्ग की संख्या उस वर्ग के तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता बताती है। जैसे-शून्य समूह के सभी तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता शून्य है, प्रथम समूह के सभी तत्त्वों की संयोजकता 1 है, द्वितीय समूह की 2, तृतीय समूह की 3, चतुर्थ की 4, पंचम की 5, छठे की 6 तथा सातवें समूह के सभी तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता 7 है।

2. एक वर्ग के किसी उपवर्ग के सभी तत्त्वों के गुण धर्म समान होते हैं, परन्तु उसी वर्ग के दूसरे उपवर्ग के तत्त्वों से भिन्न होते हैं। उदाहरणार्थ – Li, Na, K, Rb, Cs आदि उपवर्ग I-A के तत्त्व हैं। इनके गुणधर्म लगभग समान हैं, परन्तु इनके गुणधर्म उपवर्ग I-B के तत्त्वों Cu, Ag, Au के गुणधर्मों से भिन्न होते हैं।

3. प्रत्येक समूह के गुणों में आधारभूत समानताएँ पायी जाती हैं, परन्तु समूह में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर तत्त्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन पाया जाता है।

4. प्रत्येक समूह में किसी तत्त्व के परमाणु भार से उसके नीचे वाले तत्त्व का परमाणु भार अधिक होता है।

5. प्रत्येक समूह के तत्त्वों में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर तत्त्वों की आयनिक त्रिज्या में वृद्धि होती जाती है, जिससे धन विद्युती प्रकृति तथा धात्विकता में क्रमिक वृद्धि होती जाती है। धात्विकता में क्रमिक वृद्धि के कारण क्षार बनाने की प्रकृति में भी वृद्धि होती जाती है। आयनिक त्रिज्या में वृद्धि के साथ आयनिक विभव तथा विद्युत ऋणीयता तथा गलनांक में ह्रास
होता जाता है।

प्रश्न 4.
दीर्घाकार आवर्त-सारणी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।(2011, 12, 13, 14, 16, 18)
या दीर्घाकार आवर्त-सारणी के चार गुण लिखिए। (2018)
उत्तर:
दीर्घ आवर्त-सारणी की प्रमुख विशेषताएँ –

  1. यह सारणी तत्त्वों के अधिक मौलिक गुण (परमाणु क्रमांक) पर आधारित है।
  2. इसमें तत्त्वों की स्थिति का सीधा सम्बन्ध उसके परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से है; अतः यह एक अति आदर्श प्रबन्ध है।
  3. इससे तत्त्वों के रासायनिक गुणों में समानता, भिन्नता तथा अन्य क्रमिक परिवर्तनों का स्वयं ही आभास हो जाता है।
  4. इस आवर्त सारणी को याद करना सरल है।
  5. इसमें उप-समूहों को बिल्कुल ही पृथक् कर दिया गया है तथा उप-समूहों के अन्तर्गत सभी तत्त्व परस्पर समानता दर्शाते हैं।
  6. इस सारणी में आगे और भी विभाजन किये गये हैं; जैसे सक्रिय तत्त्व, संक्रमण तत्त्व, विरल मृदा धातु (लैन्थेनाइड) व रेडियो-ऐक्टिव धातु (ऐक्टिनाइड), उपधातु आदि।
  7. जैसे कि मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में अनेक अनुमान गलत निकाले गये, इस सारणी में ऐसा कोई गलत अनुमान नहीं निकलता।
  8. संक्रमण तत्त्वों का शब्दार्थ यहाँ अति स्पष्ट रूप से प्रकट होता है तथा साथ-ही-साथ इनका सारणी में स्थान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के परिप्रेक्ष्य में सराहनीय है।
  9. विरल मृदा धातुओं (लैन्थेनाइड, 58-71) तथा रेडियोऐक्टिव धातुओं (ऐक्टिनाइड, 90-103) की सारणी में पृथक् स्थिति इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर आधारित है जिससे इनके रासायनिक गुणों की समानता प्रदर्शित होती है।

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