Bihar Board Class 10 Science Subjective Chapter 3 धातु एवं अधातु

 

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उप-धातु किसे कहते हैं। किन्हीं दो उपधातुओं के नाम लिखिए। या जिन तत्त्वों में धातु तथा अधातु दोनों के गुण पाये जाते हैं, उन्हें क्या कहते हैं ?
उत्तर:
वे तत्त्व जिनमें धातु एवं अधातु दोनों के गुण पाये जाते हैं, उपधातु कहलाते हैं; जैसेआर्सेनिक, एन्टीमनी।

प्रश्न 2.
चार धातुएँ सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में पायी जाती हैं। इनमें से किसी एक का नाम लिखिए।
उत्तर:
मरकरी (पारा)।

प्रश्न 3.
किन्हीं दो अधातुओं के नाम लिखिए जिनमें चमक पायी जाती है।
उत्तर:
आयोडीन, ग्रेफाइट।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 4.
लोहे पर निम्न में से किस धातु की परत चढ़ाई जा सकती है और क्यों? (2012) Mg, Cu, Ag
उत्तर:
लोहे पर Cu व Ag की परत चढ़ाई जा सकती है क्योंकि लोहा रासायनिक सक्रियता श्रेणी में इनसे ऊपर है। अत: यह इनके विलयनों से इन्हें विस्थापित कर देता है।

प्रश्न 5.
कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम व सूत्र लिखिए। (2009, 11, 13, 15, 17, 18) या कॉपर के दो सल्फाइड अयस्कों के नाम एवं सूत्र लिखिए। (2014, 16)
उत्तर:
1. सल्फाइड अयस्क कॉपर ग्लान्स (Cu2S) व कॉपर पायराइट (Cures.)
2. ऑक्साइड अयस्क क्यूप्राइट (Cu2O)

प्रश्न 6.
कॉपर पाइराइट का सान्द्रण किस विधि द्वारा किया जाता है? (2017)
उत्तर:
फेन प्लवन विधि द्वारा।

प्रश्न 7.
नम वायु के साथ कॉपर की क्या अभिक्रिया होती है? रासायनिक समीकरण भी दीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डलीय कार्बन डाइ-ऑक्साइड, नमी व ऑक्सीजन से क्रिया करके यह हरे रंग का भास्मिक कॉपर कार्बोनेट [CuCO3.Cu(OH)2] बनाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 8.
कॉपर मैट क्या है? (2018)
उत्तर:
कॉपर धातु के निष्कर्षण प्रक्रम में क्यूप्रस सल्फाइड और फेरस सल्फाइड का गलित मिश्रण प्राप्त होता है, जिसे मैट कहते हैं।

प्रश्न 9.
निम्न को पूर्ण कीजिए –
2AgNO3 + Cu → ………. + ………..
उत्तर:
2AgNO3 + Cu → Cu(NO3)2 + 2Ag

प्रश्न 10.
बॉक्साइट तथा मैलेकाइट का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
बॉक्साइट Al2O3. 2H2O
मैलेकाइट CuCO3.Cu(OH)2

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 11.
ऐलुमिनियम के दो अयस्कों के नाम व सूत्र दीजिए।
उत्तर:
1. बॉक्साइट Al2O2.2H2O
2. क्रायोलाइट Na3 AIF6

प्रश्न 12.
गन मेटल की संरचना तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर:
गन मेटल में Cu – 88%, Sn – 10% तथा Zn – 2% होता है। इसका उपयोग बन्दूक, हथियार व मशीनों के पुर्जे बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 13.
फॉस्फर ब्रांज के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
रेडियो के एरियल तथा पुर्जे बनाने में।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धातु तथा अधातु तत्त्वों के किन्हीं चार सामान्य गुणों का उल्लेख कीजिए। (2012)
उत्तर:
धातुओं के भौतिक गुण –

  1. शुद्ध रूप में धातु की सतह चमकदार होती है। धातु के इस गुण-धर्म को धात्विक चमक (metallic lustre) कहते हैं।
  2. धातुएँ सामान्यत: कठोर होती हैं। प्रत्येक धातु की कठोरता अलग-अलग होती है।
  3. कुछ धातुओं को पीटकर पतली चादर बनाया जा सकता है। इस गुण-धर्म को आघातवर्धनीयता = कहते हैं। सोना तथा चाँदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य हैं।
  4. धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को तन्यता कहते हैं। सोना सबसे अधिक तन्य धातु है। एक ग्राम सोने से 2 किमी लम्बा तार खींचा जा सकता है।

अधातुओं के भौतिक गुण –

  1. अधिकांश अधातुएँ साधारण ताप पर गैस अवस्था में होती हैं। ब्रोमीन ऐसी अधातु है जो साधारण ताप पर द्रव होती है।
  2. ठोस अधातुएँ आघातवर्ध्य व तन्य नहीं होती हैं ये भंगुर होती हैं। उदाहरणार्थ-सल्फर और फॉस्फोरस को हथौड़े से पीटने पर ये टूट जाती हैं।
  3. अधातुओं में चमक नहीं पायी जाती है।
  4. अधातुएँ ऊष्मा और विद्युत की कुचालक होती हैं। ग्रेफाइट एक अपवाद है जोकि विद्युत का सुचालक है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
रासायनिक दृष्टिकोण से धातु तथा अधातु में मुख्य अन्तर क्या हैं? हाइड्रोजन में धनायन बनाने की प्रवृत्ति होती है तथापि यह अधातु है। क्यों स्पष्ट कीजिए। (2014)
उत्तर:
सामान्य रासायनिक अभिक्रियाओं में धातु अपने परमाणुओं से एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों का त्याग करती है जबकि अधातु एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती हैं। हाइड्रोजन में धनायन बनाने की प्रवृत्ति होने के साथ-साथ ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति भी होती है। इसके अतिरिक्त इसमें धातुओं के अन्य सामान्य गुण भी नहीं पाये जाते हैं। यही कारण है कि यह धातु नहीं है बल्कि अधातु है।

प्रश्न 3.
विद्युत रासायनिक श्रेणी की सहायता से धातुओं द्वारा अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित करने की क्षमता किस प्रकार ज्ञात करते हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (2013)
उत्तर:
विद्युत रासायनिक श्रेणी में जो धातुएँ हाइड्रोजन से ऊपर हैं वे अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित करती हैं तथा श्रेणी में धातु का स्थान जितना ऊपर होता है उसकी अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित करने की क्षमता भी उतनी अधिक होती है। उदाहरणार्थ : विद्युत रासायनिक श्रेणी में सोडियम व कैल्सियम हाइड्रोजन से ऊपर हैं अत: ये दोनों ही अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित करते हैं। परन्तु सोडियम अधिक शीघ्रता से हाइड्रोजन विस्थापित करती है।

प्रश्न 4.
विद्यत रासायनिक श्रेणी के आधार पर व्याख्या कीजिए कि क्यों कॉपर तन सल्फ्यूरिक अम्ल में घुलकर हाइड्रोजन गैस मुक्त नहीं करता है? (2017, 18)
उत्तर:
हम जानते हैं कि जो धातु सक्रियता श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर स्थित हैं, वे ही अम्लों में से हाइड्रोजन विस्थापित कर पाती हैं। वैद्युत रासायनिक श्रेणी में कॉपर हाइड्रोजन से नीचे स्थित है। अत: कॉपर तनु सल्फ्यूरिक अम्ल में घुलकर हाइड्रोजन गैस मुक्त नहीं करता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 5.
कॉपर की छड़ को AgNO3 विलयन में डालने पर कुछ समय बाद विलयन का रंग नीला हो जाता है। विद्युत रासायनिक श्रेणी के आधार पर समझाइए। (2012, 17) क्या होता है जब कॉपर की छड़ को सिल्वर नाइट्रेट विलयन में डालते हैं? (2014, 17) या
उत्तर:
विद्युत रासायनिक श्रेणी का प्रत्येक तत्त्व अपने से नीचे स्थित तत्त्वों को उसके विलयन से विस्थापित कर सकता है। श्रेणी में Cu का स्थान Ag से ऊपर है, अत: यह AgNO से निम्नलिखित क्रिया देगा Cu (s) + 2Ag(NO3) → Cu2+ + 2NO3 + 2Ag↓
इस प्रकार विलयन में क्यूप्रिक आयन विद्यमान होने से विलयन का रंग नीला हो जाएगा।

प्रश्न 6.
जस्ता, कॉपर सल्फेट के विलयन से ताँबे को विस्थापित कर सकता है जबकि सोना ऐसा नहीं करता है। कारण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विद्युत रासायनिक श्रेणी में जस्ता, कॉपर से ऊपर स्थित है जबकि सोना, कॉपर से नीचे स्थित है। अतः इन धातुओं की सक्रियता का घटता हुआ क्रम Zn > Cu > Au है। हम जानते हैं कि अधिक क्रियाशील धातु कम क्रियाशील धातु को उसके लवण के विलयन से विस्थापित कर देती है।

Zn (जस्ता), कॉपर से अधिक क्रियाशील है। अत: Zn, कॉपर सल्फेट के विलयन में से कॉपर को विस्थापित कर देता है। परन्तु Au (सोना), Cu से कम क्रियाशील धातु है। अतः सोना, कॉपर को कॉपर सल्फेट विलयन से विस्थापित नहीं कर सकता है।
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu
Au + CuSO4 → कोई क्रिया नहीं

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 7.
कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया सम्भव हैं या नहीं – (2011, 15)
Hg + H2SO4 → HgSO4 + H
Cu + 2AgNO3 → Cu(NO3)2 + 2Ag
उत्तर:
अभिक्रिया Hg + H2SO4 → HgSO4 + H2 सम्भव नहीं है। क्योंकि विद्युत रासायनिक श्रेणी में Hg का स्थान H2 से नीचे है। अतः यह हाइड्रोजन को विस्थापित नहीं करेगी। अभिक्रिया Cu + 2AgNO3 → Cu (NO3)2 + 2Ag सम्भव है; क्योंकि वैद्युत रासायनिक श्रेणी में Cu का स्थान Ag से ऊपर है।

प्रश्न 8.
अयस्क व खनिज को परिभाषित कीजिए।अयस्क तथा खनिज में क्या अन्तर है? (2013)
या अयस्क व खनिज को स्पष्ट कीजिए। (2016)
उत्तर:
खनिज Minerals प्रकृति में पृथ्वी के अन्दर धातुएँ तथा उनके यौगिक जिस रूप में पाये जाते हैं, उनको खनिज कहते हैं। अयस्क Ores जिस खनिज से किसी धातु को प्रचुर मात्रा में कम व्यय पर आसानी से प्राप्त किया जा सके, उस खनिज को उस विशिष्ट धातु का अयस्क कहते हैं। खनिज तथा अयस्क में अन्तर सभी अयस्क खनिज होते हैं, परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं।

प्रश्न 9.
निस्तापन क्रिया को उदाहरण देते हुए समझाइए। (2012, 16, 17)
उत्तर:
सान्द्रित अयस्क को उसके गलनांक के नीचे ताप पर वायु की अनुपस्थिति या कम मात्रा में गर्म करके उसमें से नमी, हाइड्रेशन जल तथा अन्य वाष्पशील पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को निस्तापन कहते हैं। इस प्रक्रम में अयस्क को बिल्कुल भी पिघलने नहीं दिया जाता है। धातु कार्बोनेटों तथा हाइड्रॉक्साइडों को गर्म करके कार्बन डाइ-ऑक्साइड तथा जल निष्कासित करके धातुई ऑक्साइडों को प्राप्त करना भी निस्तापन ही कहलाता है। निस्तापन प्रक्रम के फलस्वरूप अयस्क शुष्क तथा छिद्रमय (porous) हो जाता है।
उदाहरणार्थ:
बॉक्साइट (Al2O3 . 2H2O) अयस्क का निस्तापन करने पर उसमें उपस्थित हाइड्रोजन जल वाष्पित होकर बाहर निकल जाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 10.
भर्जन क्या है? यह क्रिया किन सान्द्रित अयस्कों के लिए प्रयोग में लायी जाती है? भर्जन को उदाहरण देते हुए समझाइए। (2012, 16)
या भर्जन क्रिया में प्रयुक्त होने वाली भट्ठी का नामांकित चित्र बनाइए तथा समीकरण दीजिए। (2017, 18)
या भर्जन क्या है ? कॉपर पायराइट के भर्जन में होने वाली अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। (2014, 15, 17)
उत्तर:
सान्द्रित अयस्क को अकेले या किसी अन्य पदार्थ के साथ मिला करके उसके गलनांक के नीचे (बिना पिघलाये) वायु की नियन्त्रित मात्रा की उपस्थिति में गर्म करने की क्रिया को भर्जन कहा जाता है। यह क्रिया मुख्यतः सल्फाइड अयस्कों के लिए प्रयुक्त की जाती है। भर्जन तथा निस्तापन में केवल इतना ही अन्तर होता है कि भर्जन निस्तापन की अपेक्षा कुछ अधिक ताप तथा वायु की नियन्त्रित मात्रा की उपस्थिति में पूर्ण होती है।

भर्जन क्रिया के द्वारा अयस्क आंशिक या पूर्ण रूप से ऑक्सीकृत हो जाता है तथा अयस्क में उपस्थित सल्फर, आर्सेनिक, ऐण्टीमनी आदि अशुद्धियाँ ऑक्सीकृत होकर वाष्पशील ऑक्साइडों के रूप में पृथक् हो जाती हैं। भर्जन की क्रिया को परावर्तनी भट्ठी में कराते हैं। [संकेत परावर्तनी भट्ठी का चित्र दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2 के उत्तर में देखें।]
उदाहरणार्थ:
सान्द्रित कॉपर पायराइट (CuFeS2) को कम ताप तथा वायु की नियन्त्रित मात्रा की उपस्थिति में परावर्तनी भट्ठी में गर्म करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ सम्पन्न होती हैं
2CuFeS2 + O2 → Cu2S + 2FeS + SO2 ↑
2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O+ 2SO2 ↑
2FeS + 3O2 → 2FeO + 2SO2 ↑

अयस्क में उपस्थित S तथा As की अशुद्धियाँ वाष्पशील ऑक्साइडों में परिवर्तित हो जाती हैं।
S + O2 → SO2
4As + 3O2 → 2As2O3

प्रश्न 11.
निस्तापन तथा भर्जन में क्या अन्तर है? (2016)
उत्तर:
निस्तापन में अयस्क को निम्न ताप पर वायु की अनुपस्थिति (या कम मात्रा) में गर्म किया जाता है जबकि भर्जन में अयस्क को उच्च ताप पर (बिना पिघलाये) वायु की नियन्त्रित मात्रा में गर्म किया जाता है।

प्रश्न 12.
गालक किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए। किसी एक अम्लीय गालक की क्रिया को केवल रासायनिक समीकरण द्वारा स्पष्ट कीजिए। (2011, 12, 15)
उत्तर:
वे पदार्थ जो अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों के साथ उच्च ताप पर क्रिया करके इन्हें सरलता से गलाकर अलग होने वाले पदार्थों के रूप में दूर कर देते हैं, गालक कहलाते हैं। सरलता से गलकर अलग होने वाले पदार्थों को धातुमल (slag) कहते हैं।
गालक दो प्रकार के होते हैं –
(1) अम्लीय गालक तथा
(2) क्षारीय गालक।
अम्लीय गालक की रासायनिक क्रिया सिलिकन डाइ-ऑक्साइड (SiO2) अम्लीय गालक है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 13.
धातुमल किसे कहते हैं? समझाइए। (2011, 18)
उत्तर:
अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों की गालक से क्रिया के फलस्वरूप बने गलनीय पदार्थ को धातुमल कहते हैं।
उदाहरणार्थ:
जब क्षारीय गालक MgCO2, अम्लीय अशुद्धि SiO2 के साथ क्रिया करता है, तो मैग्नीशियम सिलिकेट धातुमल के रूप में पृथक् हो जाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 14.
प्रगलन पर टिप्पणी लिखिए। या प्रगलन को उदाहरण सहित समझाइए। (2012)
उत्तर:
निस्तापन तथा भर्जन क्रिया के उपरान्त प्राप्त अयस्क को कोक तथा उचित गालक (flux) के साथ मिलाकर मिश्रण को उच्च ताप तक गर्म करके गलाने (पिघलाने) की क्रिया को प्रगलन कहते हैं। प्रगलन क्रिया को वात्या भट्ठी में सम्पन्न कराते हैं। इस क्रिया में कोक प्रायः अपचायक का कार्य करता है तथा अयस्क को गलित धातु में परिवर्तित कर देता है।
उदाहरणार्थ:
हेमेटाइट (Fe2O3) से आयरन की प्राप्ति के लिए सान्द्रित, निस्तापित एवं भर्जित अयस्क में कोक तथा चूने का पत्थर (गालक) मिलाकर वात्या भट्ठी में गर्म करते हैं। इस क्रिया में Fe2O3, Fe में परिवर्तित हो जाता है –
Fe2O2 + 3C → 2Fe + 3CO↑
Fe2O3+ 3CO → 2Fe + 3CO2

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 15.
वात्या भट्ठी का नामांकित चित्र बनाइए। (2011)
उत्तर:
वात्या भट्ठी (Blast Furnace)
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 16.
फफोलेदार ताँबे के शोधन की विद्युत अपघटनी विधि बताइए। या फफोलेदार कॉपर से शुद्ध कॉपर धातु प्राप्त करने की विद्युत अपघटनी विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। (2011, 12, 15)
या फफोलेदार कॉपर से शुद्ध कॉपर धातु प्राप्त करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस विधि में अशुद्ध (crude) ताँबे की प्लेटें ऐनोड का कार्य करती हैं और कैथोड शुद्ध कॉपर की प्लेटें होती हैं (चित्र)। विद्युत-अपघट्य कॉपर सल्फेट का अम्लीय विलयन होता है। विद्युत-धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध कॉपर कैथोड पर जमा हो जाता है। ऐनोड के नीचे कुछ अशुद्धियाँ, जिनमें सिल्वर, गोल्ड आदि धातुएँ होती हैं, जमा हो जाती हैं। इन्हें ऐनोड मड (anodic mud) कहते हैं। शेष अशुद्धियाँ घोल में सल्फेट के रूप में आ जाती हैं; जैसे निकिल, आयरन, जिंक आदि। विद्युत-अपघटन में 1.3 वोल्ट का विभवान्तर प्रयोग किया जाता है। इस विधि के द्वारा शोधित कॉपर 99.96-99.99% तक शुद्ध होता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 17.
कॉपर पर सान्द्र H2SO4 तथा सान्द्र HNO3 की अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। (2011, 14, 15)
या क्या होता है जब कॉपर को सान्द्र गन्धक (सल्फ्यूरिक अम्ल) के साथ गर्म करते हैं? (2016, 17)
उत्तर:

  1. सान्द्र H2SO4 से क्रिया कॉपर सल्फेट व सल्फर डाइ-ऑक्साइड गैस बनती है।
  2. सान्द्र HNO3 से क्रिया नाइट्रोजन डाइ-ऑक्साइड व कॉपर नाइट्रेट बनते हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 18.
बेसेमर परिवर्तक का नामांकित चित्र बनाइए। (2015)
उत्तर:
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
प्रश्न 19.
बॉक्साइट से ऐलुमिना प्राप्त करने की सरपेक विधि का वर्णन समीकरण देते हुए कीजिए। (2017)
उत्तर:
जब बॉक्साइट में सिलिका की अशुद्धि अधिक होती है, तो उसका शोधन सरपेक विधि द्वारा किया जाता है। इस विधि में बॉक्साइट में कार्बन मिलाकर, मिश्रण को नाइट्रोजन की धारा में 1800°C पर गर्म किया जाता है, जिससे ऐलुमिनियम नाइट्राइड बन जाता है और बॉक्साइट में उपस्थित सिलिका का वाष्पशील सिलिकन में अपचयन हो जाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

ऐलुमिनियम नाइट्राइड को जल के साथ गर्म किया जाता है, जिससे वह ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड और अमोनिया में अपघटित हो जाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड को अलग करके तेज गर्म करते हैं, जिससे वह ऐलुमिना में अपघटित हो जाता है और इस प्रकार शुद्ध निर्जल ऐलुमिना प्राप्त होता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धातुओं की सक्रियता श्रेणी क्या है ? हाइड्रोजन से अधिक सक्रिय एवं दूसरा कम सक्रिय ऐसे एक-एक धातु का नाम लिखिए। (2012, 16)
या विद्युत रासायनिक श्रेणी क्या है ? इसके दो प्रमुख अनुप्रयोग दीजिए। (2011)
उत्तर:
धातुओं की सक्रियता श्रेणी (विद्युत रासायनिक श्रेणी) वह सूची है जिसमें धातुओं को क्रियाशीलता के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। विस्थापन के प्रयोगों के बाद निम्न श्रेणी को विकसित किया गया है जिसे सक्रियता श्रेणी कहते हैं।
सारणी:
सक्रियता श्रेणी-धातुओं की सापेक्ष अभिक्रियाशीलताएँ पोटैशियम –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
अनुप्रयोग:
1. विद्युत रासायनिक श्रेणी की सहायता से धातुओं की अभिक्रियाशीलता की तुलना की जा सकती है।
2. विद्युत रासायनिक श्रेणी की सहायता से विभिन्न धातुओं द्वारा अम्लों में से हाइड्रोजन विस्थापित कर पाने की क्षमता की जानकारी प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
ताँबे के (कॉपर पायराइट के अतिरिक्त) दो मुख्य अयस्कों के नाम व सूत्र लिखिए। कॉपर पायराइट से ताँबे के निष्कर्षण की विधि को मुख्य पदों व समीकरणों सहित समझाइए। (2014)
या कॉपर के निष्कर्षण में भर्जन तथा प्रगलन में होने वाली अभिक्रियाओं को समझाइए। आवश्यक समीकरण भी दीजिए। (2013)
या परावर्तनी भट्ठी का सचित्र वर्णन कीजिए। कॉपर के निष्कर्षण में इसमें होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं का समीकरण लिखिए। कॉपर के धातुकर्म में प्रयुक्त भर्जन क्रिया को सचित्र या समझाइए।
या कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम लिखिए। बेसेमरीकरण को सचित्र समझाइए एवं अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए। (2011, 15)
या कॉपर पायराइट से फफोलेदार ताँबा प्राप्त करने की विधि का वर्णन कीजिए। सम्बन्धित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। द्रवित मैट से शुद्ध ताँबा कैसे प्राप्त करेंगे? (2011)
या ताँबे के मुख्य अयस्क का नाम तथा सूत्र लिखिए। इसके सान्द्रण की विधि का वर्णन कीजिए। (2009)
या बेसेमरीकरण में प्रयुक्त रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। (2014)
या बेसेमरीकरण पर टिप्पणी लिखिए। (2016)
या फेन-प्लवन विधि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2018)
उत्तर:
ताँबे का मुख्य अयस्क कॉपर पायराइट (CuFeS2) है। कॉपर पायराइट के अतिरिक्त कॉपर के दो प्रमुख अयस्क कॉपर ग्लान्स (Cu2S) तथा क्यूप्राइट (Cu2O) हैं।

कॉपर का निष्कर्षण Extraction of Copper कॉपर का निष्कर्षण मुख्यत: सल्फाइड अयस्कों से किया जाता है। कॉपर पायराइट (CuFes,) कॉपर का मुख्य सल्फाइड अयस्क है। कॉपर पायराइट से कॉपर प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम अयस्क के बड़े-बड़े टुकड़ों को हथौड़ों से पीटकर, दलित्र द्वारा या स्टैम्प मिल के प्रयोग से एक महीन चूर्ण के रूप में प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद निम्नलिखित प्रक्रम किये जाते हैं

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

1. अयस्क का सान्द्रण Concentration of the ore सल्फाइड अयस्क का सान्द्रण फेन वाय प्लवन (froth floatation) विधि द्वारा किया जाता है। बारीक पिसे सल्फाइड अयस्क को जल से भरे हुए एक अयस्क टैंक में डाल दिया जाता है और उसमें थोड़ा चीड़ का जल 100086000 तेल और पोटैशियम एथिल जैन्थेट मिलाकर वायु की का तेज धारा प्रवाहित की जाती है। सल्फाइड अयस्क के। कण तेल से भीगकर द्रव की सतह पर फेन (झाग) में अशुद्धियाँ एकत्रित हो जाते हैं और अशुद्धियाँ जल से भीगकर टैंक के पेंदे में बैठ जाती हैं। सान्द्रित अयस्क को अलग कर लेते हैं।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

2. सान्द्रित अयस्क का भर्जन Roasting of the concentrated ore कॉपर पायराइट के सान्द्रित अयस्क को परावर्तनी भट्ठी (reverberatory furnace) में रख कर कम ताप तथा नियन्त्रित वायु (controlled air) की उपस्थिति में इतना गर्म किया जाता है कि वह बिना पिघले ऑक्सीकृत हो जाये। इस प्रकार सान्द्रित अयस्क का

भर्जन हो जाता है। अयस्क में उपस्थित सल्फर, आर्सेनिक तथा ऐण्टिमनी के अपद्रव्य ऑक्सीकृत होकर अपने ऑक्साइड बनाते हैं जो वाष्प के रूप में अलग हो जाते हैं।
S + O2 → SO
4As + 3O2 → 2AS2O3
कॉपर पायराइट ऑक्सीकृत होकर कॉपर सल्फाइड (Cu2S), फेरस सल्फाइड (FeS) तथा सल्फर डाइ-ऑक्साइड (SO2) बनाता है।
2CuFeS2 + O2 → Cu2S + 2Fes + SO2 ↑
कॉपर सल्फाइड तथा फेरस सल्फाइड का कुछ भाग कॉपर ऑक्साइड (Cu2O) तथा फेरस ऑक्साइड (FeO) में बदल जाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O+ 2SO2
2FeS + 3O2→ 2FeO+ 2SO2 ↑

3. भर्जित अयस्क का प्रगलन (Smelting of the roasted ore) भर्जित अयस्क को रेत तथा कोक में मिलाकर ऊँचे ताप पर वात्या भट्ठी (blast furnace) में पिघलाया जाता है। रेत में SiO अधिकता में तथा कोक में कार्बन होता है। इस क्रिया को भर्जित अयस्क का प्रगलन कहते हैं। कॉपर पायराइट के भर्जित अयस्क के प्रगलन के फलस्वरूप उसमें उपस्थित Cu2O तथा Fes निम्न प्रकार से अभिक्रिया करते हैं

(i) क्यूप्रस ऑक्साइड फेरस सल्फाइड से क्रिया करके क्यूप्रस सल्फाइड में बदल जाता है।
Cu2O + Fes → Cu2S + FeO↑

(ii) फेरस सल्फाइड की पर्याप्त मात्रा फेरस ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है।
2FeS + 3O2 → 2FeO + 2SO2

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

इस प्रकार प्राप्त Feo, प्रयुक्त गालक (SiO2) के साथ अभिक्रिया करके आयरन सिलिकेट बनाता है जो धातुमल (slag) कहलाता है। सिलिका गालक का कार्य करता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
क्यूप्रस सल्फाइड और फेरस सल्फाइड का गलित मिश्रण जिसे द्रवित मैट (matte) कहते हैं, भट्ठी के पेंदे में एकत्रित हो जाता है और मैट के ऊपर गलित धातुमल की परत जमा हो जाती है। मैट को निकास द्वार से बाहर निकाल लिया जाता है।

4. बेसेमरीकरण (Bessemerisation) प्रगलन से प्राप्त गलित मैट में थोड़ी क्वार्ट्स (सिलिका) मिलाकर एक बेसेमर परिवर्तक में भर दिया जाता है और उसमें वायु का झोंका प्रवाहित किया जाता है। गलित मैट और क्वार्ट्स के मिश्रण में वायु का झोंका प्रवाहित करने पर निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं

(i) मैट में उपस्थित फेरस सल्फाइड फेरस ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
2Fes + 3O2 → 2FeO + 2SO2
(ii) FeO सिलिका से संयोग करके आयरन सिलिकेट बनाता है जो धातुमल कहलाता है। यह हल्का होने के कारण ऊपर आ जाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
(iii) अप्रयुक्त सिलिका को बेसेमर परिवर्तक का बेसिक स्तर अवशोषित कर लेता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
(iv) क्यूप्रस सल्फाइड का कुछ भाग क्यूप्रस ऑक्साइड में बदल जाता है। यह पुन: क्यूप्रस सल्फाइड से क्रिया करके फफोलेदार ताँबा (blister copper) बनाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 3.
ऐलुमिनियम के दो अयस्कों के नाम तथा सूत्र दीजिए। बॉक्साइट के शद्धिकरण की किसी एक विधि का संक्षेप में वर्णन कीजिए। ऐलुमिना से धातु को कैसे प्राप्त किया
जाता है?
उत्तर:
ऐलुमिनियम के दो प्रमुख अयस्क बॉक्साइट व क्रायोलाइट हैं। ऐलुमिनियम का निष्कर्षण बॉक्साइट (Al2O3 : 2H2O) से किया जाता है। बॉक्साइट में फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3), सिलिका (SiO2) तथा अन्य अपद्रव्य मिले होते हैं। बॉक्साइट से ऐलुमिनियम का निष्कर्षण निम्न पदों में किया जाता है

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

1. बॉक्साइट का शोधन बॉक्साइट का शोधन हॉल की विधि द्वारा किया जाता है हॉल विधि (Hall’s process) इस विधि में बॉक्साइट में सोडियम कार्बोनेट मिलाकर मिश्रण को गलाया जाता है, जिससे ऐलुमिनियम ऑक्साइड सोडियम मेटा-ऐलुमिनेट में बदल जाता है।Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
गलित मिश्रण को जल के साथ गर्म करके छान लिया जाता है। सोडियम मेटा-ऐलुमिनेट विलयन में आ जाता है और फेरिक ऑक्साइड, सिलिका आदि की अशुद्धियाँ अविलेय पदार्थ के रूप में अलग हो जाती सोडियम मेटा-ऐलुमिनेट विलयन को 30 – 60°C तक गर्म करके उसमें कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है, जिससे ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड अवक्षेपित हो जाता है जिसे छान लेते हैं।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
अवक्षेप को जल से धोकर सुखाते हैं और फिर तेज गर्म करते हैं, जिससे ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड ऐलुमिनियम ऑक्साइड (ऐलुमिना) में अपघटित हो जाता है और इस प्रकार शुद्ध निर्जल ऐलुमिना प्राप्त होता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

2. ऐलुमिना का विद्युत्-अपघटन शुद्ध और निर्जल ऐलुमिना (Al2O3) से ऐलुमिनियम धातु हॉल (C.M. Hall, 1886) और हैरॉल्ट (Heroult) द्वारा प्रस्तुत विद्युत्-अपघटनी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। शुद्ध निर्जल ऐलुमिना को गलित क्रायोलाइट (Cryolite, Na3 AlF6) में घोलकर गलित मिश्रण का 875 से 950°C पर कार्बन इलेक्ट्रोडों के बीच विद्युत्-अपघटन करने पर कैथोड पर ऐलुमिनियम निक्षेपित (deposit) होता है और ऐनोड पर ऑक्सीजन निकलती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

विद्युत्-अपघटनी सेल (संलग्न चित्र) 8 फीट लम्बा और 6 फीट चौड़ा लोहे का बक्स होता है, जिसके अन्दर गैस कार्बन का अस्तर लगा होता है जो कैथोड का कार्य करता है। ऐनोड कई ग्रेफाइट की छड़ों का बना होता है जो ऐलुमिना और क्रायोलाइट के गलित मिश्रण में डूबी रहती हैं। विद्युत्-अपघटनी सेल से समानान्तर क्रम (parallel) में एक विद्युत् लैम्प जुड़ा रहता है, जिसे नियन्त्रक लैम्प (controlling lamp) कहते हैं। गलित मिश्रण का विद्युत्-अपघटन करने पर ऐलुमिना की मात्रा घटने लगती है, जिसके फलस्वरूप सेल का प्रतिरोध बढ़ने लगता है।

जैसे ही सेल में ऐलुमिना समाप्त होने को होता है नियन्त्रक लैम्प जलने लगता है, क्योंकि सेल का प्रतिरोध बहुत बढ़ जाता है। ऐसा होने पर सेल में और निर्जल ऐलुमिना डाल दिया जाता है। निर्जल ऐलुमिना और क्रायोलाइट का गलित मिश्रण विद्युत्-अपघट्य का कार्य करता है। इसका ताप 875 – 950°C रखा जाता है। निर्जल ऐलुमिना (Al2O3) का गलनांक (2050°C) बहुत ऊँचा होता है, परन्तु उसमें क्रायोलाइट (Na3 AIF6 ) मिला देने से ऐलुमिना अपेक्षाकृत कम ताप पर (875 – 900°C) पिघल जाता है। विद्युत्-अपघटन लगभग 35000 ऐम्पियर (ampere) की विद्युत्-धारा द्वारा 4 – 5 वोल्ट की वोल्टता (voltage) पर किया जाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
शुद्ध निर्जल ऐलुमिना और क्रायोलाइट का मिश्रण विद्युत्-अपघटनी सेल में भरकर विद्युत्-धारा प्रवाहित की जाती है, जिससे क्रायोलाइट पिघल जाता है और उसमें निर्जल ऐलुमिना घुल जाता है। गलित क्रायोलाइट में ऐलुमिना के विलयन का विद्युत अपघटन होता है। कैथोड पर ऐलुमिनियम निक्षेपित होता है और ऐनोड पर ऑक्सीजन निकलती है। गलित अवस्था में ऐलुमिनियम सेल की तली में एकत्रित हो जाता है जिसे बाहर निकाल लेते हैं।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
ग्रेफाइट ऐनोडों पर मुक्त हुई ऑक्सीजन से ग्रेफाइट की छड़ें क्रिया करती हैं जिससे कार्बन मोनोक्साइड (CO) बनती है, जिसके जलने से चमक उत्पन्न होती है और CO2 बनती है। अत: ग्रेफाइट की ऐनोड छड़ें खराब हो जाती हैं और उनको बदलना पड़ता है। विद्युत्-अपघटन करने से पहले ऐलुमिना और क्रायोलाइट के गलित मिश्रण में पिसा हुआ कार्बन डाल दिया जाता है जिससे ऊष्मा की हानि नहीं होती तथा आँखों में चमक नहीं लगती है। क्रायोलाइट की उपस्थिति में गलित ऐलुमिना के विद्युत्-अपघटन से लगभग 99.8% शुद्ध ऐलुमिनियम प्राप्त होता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

ऐलुमिनियम का शोधन ऐलुमिनियम का शोधन विद्युत्-अपघटनी विधि, हूप विधि (Hoope’s process) द्वारा किया जाता है। इस विधि में कार्बन का अस्तर लगे हुए एक आयरन के टैंक में सबसे नीचे (bottom) गलित अशुद्ध ऐलुमिनियम की परत, मध्य में (middle) सोडियम, बेरियम और ऐलुमिनियम के फ्लु ओराइडों के गलित मिश्रण की परत और सबसे ऊपर (top) गलित शुद्ध ऐलुमिनियम की परत होती है (संलग्न चित्र) ऊपर की परत का आपेक्षिक घनत्व सबसे कम और नीचे (bottom) की परत का आपेक्षिक घनत्व सबसे अधिक होता है।

अशुद्ध ऐलुमिनियम की परत ऐनोड का और शुद्ध ऐलुमिनियम की परत कैथोड का कार्य करती है। सोडियम, बेरियम और ऐलुमिनियम के फ्लुओराइडों का गलित मिश्रण विद्युत्-अपघट्य (electrolyte) का कार्य करता है। शुद्ध ऐलुमिनियम की परत में लटकी हुई ग्रेफाइट की छड़ें व अशुद्ध ऐलुमिनियम की परत के सम्पर्क में स्थित कॉपर-ऐलुमिनियम मिश्र धातु की छड़ चालक का कार्य करती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु
विद्युत्-धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध ऐलुमिनियम बीच की परत से ऊपर की परत में कैथोड पर एकत्रित होता है और उतना ही ऐलुमिनियम नीचे (bottom) की परत से बीच की परत में आ जाता है। इस प्रकार शुद्ध ऐलुमिनियम नीचे की परत (ऐनोड) से ऊपर की परत (कैथोड) में आ जाता है और अशुद्धियाँ नीचे रह जाती हैं। इस विधि द्वारा प्राप्त ऐलुमिनियम 99.98% शुद्ध होता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 4.
मिश्र धातु किसे कहते हैं ? कॉपर की दो प्रमुख मिश्र धातुओं के नाम, संघटन व उपयोग दीजिए। (2010, 13, 14, 16, 18)
या मिश्र धातु किसे कहते हैं ? कोई एक उदाहरण दीजिए। (2009, 11)
या मिश्र धातु से आप क्या समझते हैं? धातु एवं उसकी मिश्र धातु के गुणों में प्रमुख भिन्नता क्या है?
उत्तर:
“जब दो या दो से अधिक धातुओं को एक निश्चित अनुपात में मिलाकर पिघलाया जाता है तो ये धातुएँ परस्पर मिल जाती हैं और एक समांग मिश्रण बनाती हैं। ऐसे मिश्रण को मिश्र धातु कहते हैं।” इन मिश्र धातुओं के भौतिक गुण मूल धातुओं के भौतिक गुणों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। उदाहरण के लिए-मिश्र धातु पीतल, जिसमें 2 भाग ताँबा व एक भाग जस्ता होता है, ताँबा व जस्ता की अपेक्षा अधिक कड़ा होता है।

मिश्र धातु बनाते समय यदि विभिन्न धातुओं को धीरे-धीरे गर्म किया जाये और फिर उन्हें धीरे-धीरे ठण्डा होने दिया जाये तो नरम मिश्र धातु प्राप्त होती है। यदि धातुओं को शीघ्रता से गर्म करके फिर शीघ्रता से ठण्डा किया जाये तो मिश्र धातु कठोर और भंगुर होती है। इस प्रकार धातुओं से मिश्र धातु बनाने में उनकी कठोरता, वायु, जल आदि से क्रिया करने का गुण, चमक, रंग, मूल्य आदि बदल कर अधिक उपयोगी बन जाते हैं। कॉपर की दो प्रमुख मिश्र धातुएँ, उनकी संरचना (संघटन) तथा मुख्य उपयोग निम्नांकित सारणी में दिये गये हैं –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 3 धातु एवं अधातु

0 Comments