अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरो-1 तथा यूरो – II मानक क्या हैं?
उत्तर:
यूरो – I में ईंधन से मुक्त CO2 का उत्सर्जन स्तर 2.75 ग्राम/किमी तथा यूरो – II में यह स्तर 2.20 ग्राम/किमी है। इसके फलस्वरूप प्रदूषण स्तर में काफी कमी आ गई है।

प्रश्न 2.
वन संरक्षण हेतु सबसे उपयोगी विधि क्या हो सकती है?
उत्तर:
स्थानीय नागरिकों को वन संरक्षण का प्रबन्धन दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये वन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं।

प्रश्न 3.
किन्हीं दो वन उत्पाद आधारित उद्योगों के नाम बताइए।
उत्तर:
1. प्लाईवुड उद्योग में लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
2. बीड़ी उद्योग में तेंदूपत्ता का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
विभिन्न प्राकृतिक संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
मृदा, जल, वायु, वन्य-जीव, कोयला, पेट्रोलियम आदि विभिन्न प्राकृतिक संसाधन हैं।

प्रश्न 5.
कोयला और पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए दो उपाय बताइए।
उत्तर:
1. कोयला के उपयोग को कम करने के लिए हमें विद्युत की खपत पर नियन्त्रण रखना होगा।
2. पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए सामुदायिक वाहनों के प्रयोग के लिए जनसमुदाय को प्रेरित करना चाहिए।

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प्रश्न 6.
‘खादिन’ या ‘ढोरा’ पद्धति किससे सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
खादिन या ढोरा पद्धति खेतों में बहने वाले वर्षा जल के संग्रहण पर आधारित प्रणाली हैं। इस जल का उपयोग फसल उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 7.
क्योटो प्रोटोकॉल समझौता क्या है?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड तथा हरित गैस उत्सर्जन स्तर में 1990 की तुलना में 5.2% कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए 1997 में जापान के क्योटो शहर में यह समझौता लागू किया गया था।

उत्तर 8.
पर्यटक किस प्रकार वन पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं?
उत्तर:
पर्यटक कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन, टिन पैक आदि को इधर-उधर फेंककर वन पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। पर्यटकों को वन क्षेत्रों में लाने ले जाने के लिए प्रयोग किए जाने वाहनों से मुक्त विषाक्त गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।

प्रश्न 9.
अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
अमृता देवी विश्नोई ने 1731 में ‘खेजरी वृक्षों’ को बचाने के लिए 363 व्यक्तियों के साथ स्वयं को बलिदान कर दिया था। उनकी स्मृति में जीव संरक्षण हेतु यह पुरस्कार दिया जाता है।

प्रश्न 10.
वन उत्पादों की एक सूची बनाइए।
उत्तर:
लकड़ी, बाँस, जड़ी-बूटी, औषधि, विभिन्न प्रकार के कन्द-मूल फल, मछली एवं पशुओं का चारा आदि।

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प्रश्न 11.
राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराना किस प्रकार हानिकारक है?
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराने से मिट्टी उखड़ जाती है, घास आदि कुचल जाती है। इससे मृदा अपरदन होने लगता है। इससे राष्ट्रीय उद्यान को क्षति होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन के अन्तर्राष्ट्रीय मानकों को प्राप्त करने के लिए हम किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं –

  • स्वचालित वाहन का उपयोग कम करें; यथासम्भव सामुदायिक वाहनों का उपयोग किया जाना चाहिए। चौराहों पर लाल बत्ती होने पर इंजन को बन्द कर दें। इंजन को समय-समय पर ट्यून कराते रहें।
  • छोटी दूरी तय करने के लिए पैदल चलें या साइकिल का प्रयोग करें।
  • विद्युत का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि कम-से-कम और आवश्यकता के अनुरूप ही उपकरणों का प्रयोग हो। विद्युत उत्पादन के समय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से CO2 का उत्सर्जन होता है।
  • वृक्षारोपण के लिए जनसामान्य को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
सार्वसूचक (universal indicator) की सहायता से अपने घर में आपूर्त पानी का pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सार्वसूचक (universal indicator) एक pH सूचक है, जो pH के विभिन्न मान वाले विलयनों में विभिन्न रंग प्रदर्शित करता है। अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। क्षारकों का स्वाद कडुवा होता है। यह लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। लिटमस एक प्राकृतिक सूचक होता है। पानी के नमूनों को अलग-अलग परखनली या बीकर में लेते हैं, इनमें लिटमस कागज डालने पर कागज के रंग में आने वाले परिवर्तनों से पानी के नमूने की प्रकृति ज्ञात की जा सकती है। यदि रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो वह जल का नमूना उदासीन होता है। उदासीन जल का pH मान 7 होता है। pH मान 7 से कम होना अम्लीयता को और अधिक होना क्षारीयता को प्रदर्शित करता है।

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रंग और निष्कर्ष –
लाल – अत्यधिक अम्लीय
नारंगी – अम्लीय
नीला – क्षारीय
बैंगनी – अत्यधिक क्षारीय

प्रश्न 3.
वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों की क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर:
वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों को जलाने के लिए लकड़ी, छाजन एवं आवास के लिए लकड़ी की अधिक आवश्यकता होती है। भोजन के भण्डारण के लिए कृषि उपकरणों, शिकार करने और मछली आदि पकड़ने के लिए औजार लकड़ी से बने होते हैं। स्थानीय निवासी वनों से कन्द, मूल, फल तथा औषधि प्राप्त करते हैं। अपने पालतु पशुओं को वनों में चराते हैं और वनों से ही पशुओं के लिए चारा प्राप्त करते हैं। वन क्षेत्र से ये भोजन हेतु जन्तु और मछली प्राप्त करते हैं। ये अपने दैनिक उपभोग की लगभग सभी वस्तुएँ वन से प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न 4.
कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल में CO2 के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानकों की चर्चा की गई थी। इस समझौते के अनुसार औद्योगिक राष्ट्रों को अपने CO2 तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन स्तर में 5.2% की कमी लाने के लिए कहा गया था। ऑस्ट्रेलिया एवं आइसलैण्ड के लिए यह मानक क्रमशः 8% तथा 10% निर्धारित किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल समझौता जापान के क्योटो शहर में दिसम्बर 1997 में हुआ था और इसे 16 फरवरी 2005 को लागू किया गया। दिसम्बर 2006 तक 169 देशों ने इस समझौते का अनुमोदन कर दिया था।

प्रश्न 5.
पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य प्राप्ति के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण को बचाने के लिए 3R तकनीक का उपयोग करके इस समस्या का प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। जल, कोयला, पेट्रोलियम, विद्युत, धातु तथा अन्य अनेक प्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recyling) तथा पुन: उपयोग (Reuse) करके पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं।

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प्रश्न 6.
ऐसे क्षेत्रों की पहचान कीजिए जहाँ पर जल की प्रचुरता है तथा ऐसे क्षेत्रों की जहाँ इसकी बहुत कमी है।
उत्तर:
अत्यधिक वर्षा या जल की प्रचुरता वाले क्षेत्र जहाँ प्रतिवर्ष 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र, गोआ, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश एवं असम आदि हैं। हल्की वर्षा वाले क्षेत्र अर्थात् जहाँ प्रतिवर्ष 50 से 100 सेमी वर्षा होती है ऊपरी गंगा घाटी, पूर्वी राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब के कुछ हिस्से, पश्चिमी राजस्थान, थार, कच्छ, पश्चिमी घाट के वर्षा-छाया क्षेत्र आदि हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“गंगा सफाई योजना”का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, इसके लिए सामाजिक जागरूकता लाना अनिवार्य है। गंगा सफाई योजना इसी दिशा में किया गया एक प्रयत्न है। प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन 345 जीवन दायिनि गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए यह योजना 1985 में प्रारम्भ की गई। कई करोड़ों की यह योजना गंगा जल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए प्रारम्भ हुई। गंगा हिमालय में स्थित अपने उद्गम गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी में गंगासागर तक 2500 किमी तक यात्रा करती है। इसके किनारे स्थित उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल के 100 से अधिक नगरों का औद्योगिक कचरा इसमें मिलता जाता है, इसके फलस्वरूप इसका स्वरूप नाले के समान हो गया है।

इसके अतिरिक्त इसमें प्रचुर मात्रा में अपमार्जक (detergents), वाहितमल (sewage), मृत शवों का प्रवाह, मृत व्यक्तियों की राख आदि प्रवाहित किए जाते रहते हैं। इसके कारण इसका जल विषाक्त होने लगा है। विषाक्त जल के कारण अत्यधिक संख्या में मछलियाँ तथा अन्य जलीय जीव मर रहे हैं। कोलिफॉर्म जीवाणु का एक वर्ग है जो मानव की आँत में पाया जाता है। गंगाजल में इसकी उपस्थिति से जल प्रदूषण का स्तर प्रदर्शित होता है। गंगा सफाई योजना गंगा नदी और इसके जल को संदषित होने से बचाने के लिए प्रारम्भ की गई है।

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प्रश्न 2.
एक एटलस की सहायता से भारत में वर्षा के पैटर्न का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में वर्षा ऋतु का आगमन प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिणी सिरे पर जून के प्रथम सप्ताह में मानसून से होता है। इसके पश्चात् मानसून दो शाखाओं में बँट जाता है-अरब सागर शाखा तथा बंगाल की खाड़ी शाखा। अरब सागर शाखा 10 जून तक मुम्बई पहुँच जाती है। बंगाल की खाड़ी शाखा तेजी से बढ़ती हुई जून के प्रथम सप्ताह में असम पहुँच जाती है। पर्वत श्रृंखलाएँ इन मानसूनी हवाओं को पश्चिम की ओर गंगा के मैदानों के ऊपर मोड़ देती हैं। अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा गंगा के मैदान के उत्तर-पश्चिम भाग में एक- दूसरे से मिल जाती हैं।

मानसून दिल्ली में जून के अन्त में पश्चिम उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान में जूलाई के प्रथम सप्ताह में और मध्य जुलाई तक शेष भारत में मानसून पहुँच जाता है। मानसून के वापस लौटने की शुरुआत सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में उत्तर पूर्वी राज्यों से होती है। मध्य अक्टूबर तक यह प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरीय आधे हिस्से से लौट जाता है। यह क्रिया धीमी गति से होती है। इसके विपरीत भारत के दक्षिणी आधे भाग से मानसून बहुत तेजी से लौटता है। दिसम्बर के आरम्भ तक पूरे देश से मानसून प्राय: लौट जाता है। इसी के साथ भारत शीत लहर के प्रभाव में आ चुका होता है।