Bihar Board Class 10 Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार InText Questions and Answers

अनुच्छेद 11.1 और 11.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है? (2011, 13, 15, 16)
उत्तर:
नेत्र की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित करके निकट तथा दूरस्थ वस्तुओं को फोकसित कर लेता है, नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है।

प्रश्न 2.
निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर:
अवतल लेंस।

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प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु अनन्त पर तथा निकट बिंदु 25 cm पर होते हैं।

प्रश्न 4.
अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपटद पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टिदोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर:
विद्यार्थी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित है। इस दृष्टि दोष को संशोधित करने के लिए उसे उचित फोकस दूरी वाले अवतल लेंस का चश्मा पहनना होगा।

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प्रश्न 1.
मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है।
ऐसा हो पाने का कारण है –
(a) जरा-दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर:
(b) समंजन

प्रश्न 2.
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं, वह है –
(a) कॉर्निया
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर:
(d) दृष्टिपटल

प्रश्न 3.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग –
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर:
(c) 25 cm

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प्रश्न 4.
अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है –
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर:
(c) पक्ष्माभी द्वारा

प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए – 5.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी
1. दूर की दृष्टि के लिए
2. निकट की दृष्टि के लिए?
हल:
1. दूर की दृष्टि के लिए
P = 1f (मीटर में)
f = 1p = – 15.5 = 1055 = 211 m
f = 211 x 100 cm = 20011 cm
f = -18.2 cm = – 0.18 m
ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि लेंस अवतल है।

2. निकट की दृष्टि के लिए –
f = 1p = 11.5
1015 x 100 cm = 23 x 100 cm
2003 cm = 66.67 cm = + 0.67 m
धनात्मक चिह्न दर्शाता है कि लेंस उत्तल है।

प्रश्न 6.
किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा
क्षमता क्या होगी?
हल:
इस दोष के निवारण के लिए अवतल लेंस का प्रयोग करना होगा।
अतः
u = – ∞  υ = -80 cm, f = ?
सूत्र 1υ – 1u = 1f से,
180 – 1u = 1f
– 1f = 180
अतः फोकस दूरी’ f =-80 cm = -0.8 m
लेन्स की क्षमता P = 1f = 180 D = -1.25 D
अत: आवश्यक लेन्स की प्रकृति अपसारी तथा क्षमता -1.25 D है।

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प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट-बिंदु 25 cm है।
हल:
दीर्घ-दृष्टि दोष का निवारण उत्तल लेंस से किया जाता है।
दिया है, υ = 1 m = -100 cm, u = -25 cm
सूत्र, 1υ – 1u = 1f से,
1100 – 125 = 1f
1+4100 = 1f
3100 = 1f
f = 1003 cm
f = 1003100m या 1003 x 1100 m
f = 13 m
अब, क्षमता, P =1f (मीटर में)
1f = m
P = +3D

(a) दीर्घ-दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिंदु
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(b) दीर्घ-दृष्टि दोष युक्त नेत्र
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(c) दीर्घ-दृष्टि दोष का निवारण
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प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते; क्योंकि 25 cm से निकट रखी वस्तुओं से आने वाली प्रकाश किरण नेत्र के रेटिना पर उचित प्रकार से फोकस नहीं हो पाती, जिस कारण वस्तु का धुंधला प्रतिबिंब बनता है और वह सुस्पष्ट नहीं दिखाई देती।

प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी का क्या होता है?
उत्तर:
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी अपरिवर्तित रहती है। ऐसा इसलिए होता है कि जब नेत्र से वस्तु की दूरी बढ़ाई जाती है तो पक्ष्माभी पेशियाँ नेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित कर देती हैं जिससे वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना पर प्राप्त होता है।

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प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
तारों के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक तारे का प्रकाश निरंतर अपवर्तित होता रहता है। चूँकि वायुमंडल तारे के प्रकाश को अभिलंब की ओर झुका देता है, अतः तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ भिन्न प्रतीत होती है और वे हमें टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर:
ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत पास हैं और इसलिए उन्हें विस्तृत स्रोत की भाँति माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु-साइज़ के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें तो सभी बिन्दु-साइज़ के प्रकाश-स्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा, इसी कारण टिमटिमाने का प्रभाव निष्प्रभावित हो जाता है।

प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
सूर्योदय के समय सूर्य क्षैतिज के निकट होता है इसलिए सूर्य से आने वाला अधिकांश नीला प्रकाश और कम तरंगदैर्घ्य का प्रकाश वायुमंडल में उपस्थित कणों द्वारा दूर प्रकीर्णित कर दिया जाता है। इस प्रकार हमारे नेत्रों तक जो प्रकाश पहुँचता है वह अधिक तरंगदैर्घ्य वाला होता है। यही घटना सूर्योदय के समय सूर्य को रक्ताभ प्रदान करती है।

प्रश्न 13.
किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है? (2016)
उत्तर:
हम जानते हैं कि अंतरिक्ष में वायुमंडल नहीं होता है जिस कारण वहाँ पर सूर्य का प्रकाश प्रकीर्णित नहीं होता है। यही कारण है कि अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।