Bihar Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव InText Questions and Answers

अनुच्छेद 13.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर:
वास्तव में दिक्सूचक की सुई एक छोटा-छड़ चुंबक ही होती है। किसी दिक्सूचक की सुई के दोनों सिरे लगभग उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं। हम जानते हैं कि चुंबकों में सजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीव ध्रुवों में परस्पर आकर्षण होता है। अतः चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित हो जाती है।

अनुच्छेद 13.1 से 13.2.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के कुछ प्रमुख गुण निम्नवत् हैं –

  1. ये काल्पनिक रेखाएँ चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं एवं दक्षिणी ध्रुव पर जाकर समाप्त हो जाती हैं।
  2. ये क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
  3. इन रेखाओं के किसी बिन्दु पर स्पर्श रेखा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।

प्रश्न 3.
दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करें तो प्रतिच्छेद करने वाले बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी जो संभव नहीं है। अतः ये क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

अनुच्छेद 13.2.3 और 13.2.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
मेज़ के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
चित्र से स्पष्ट है कि पाश के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश के तल (मेज के तल) के लम्बवत् नीचे की ओर होगी, जबकि पाश के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज) के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगी।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिए किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।

अनच्छेद 13.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? ( यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर:
(c) वेग तथा (d) संवेग

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि –
1. छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
2. अधिक प्रा. नाल चुंबक प्रयोग किया जाए; और
3. छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर:
हम जानते हैं कि F = BiL इसलिए,

  1. छड़ का विस्थापन बढ़ जायेगा; क्योंकि; F ∝ i बल का मान चालक में प्रवाहित धारा के मान के समानुपाती होता है।
  2. छड़ का विस्थापन बढ़ जायेगा; क्योंकि; F ∝ B बल का मान चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता के समानुपाती होता है।
  3. छड़ का विस्थापन बढ़ जायेगा; क्योंकि; F ∝ L बल का मान चालक की लंबाई के समानुपाती होता है।

प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर:
(d) उपरिमुखी।

अनुच्छेद 13.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए। (2011, 13, 14, 15, 16)
उत्तर:
यदि हम वामहस्त (बायें हाथ) की तीन चालक पर बल / अंगुलियों – अंगूठा, तर्जनी एवं मध्यमा को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार फैलाएँ कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एवं मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्यत धारा की दिशा को दर्शाए तो चालक पर लगने वाले बल की विद्युत धारा की दिशा में होती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर:
विद्युत मोटर का सिद्धान्त जब किसी कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जो कुण्डली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है। यही विद्युत मोटर का सिद्धान्त है।

प्रश्न 3.
विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विद्युत मोटर में विभक्त वलय कॉम्यूटेटर का कार्य करता है। धारा की दिशा परिवर्तन के कारण आर्मेचर में लगने वाले बल की दिशा भी परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार कुण्डली पर लगने वाला घूर्णी बल कुण्डली में घूर्णन उत्पन्न करता है।

अनुच्छेद 13.5 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित ढंग से किसी कुण्डली में विद्युत धारा उत्पन्न की जा सकती है –

  1. कुण्डली एवं चुंबक को आपेक्षिक गति में लाकर।
  2. एक धारावाही कुण्डली एवं एक सामान्य कुण्डली में सापेक्षिक गति उत्पन्न करके।
  3. दो कुण्डलियों में से किसी एक में धारा के मान को परिवर्तित करके।

अनुच्छेद 13.6 पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर:
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त जब किसी बन्द कुण्डली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है। कुण्डली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुण्डली में विद्युत-ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा के कुछ मुख्य स्रोत निम्नवत् हैं –
1. विद्युत रासायनिक सेल
2. स्टोरेज सेल
3. dc जनित्र।

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा के स्रोतों के नाम निम्नवत् हैं –

  1. ac जनित्र
  2. ताप शक्ति विद्युत
  3. जल विद्युत
  4. न्यूक्लिअर रियेक्टर।

प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है?
(a) दो (b) एक (c) आधे (d) चौथाई
उत्तर:
(c) आधे

अनुच्छेद 13.7 पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए। उत्तर–सामान्यतः उपयोग में आने वाले दो उपायों के नाम निम्नवत् हैं
1. विद्युत फ्यूज।
2. भू-संपर्क तार का उपयोग

प्रश्न 2.
2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
हल:
दिया है, शक्ति P = 2kW
= 2 x 1000W = 2000 W
वोल्टेज, V = 220 V
हम जानते हैं कि, शक्ति, P = V x I या I = PV
2000220 = 9.09A
अर्थात् विद्युत तंदूर लाइन से 9.09A की धारा लेगा जोकि फ्यूज की क्षमता से अधिक है, अत : फ्यूज का तार गल जायेगा।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
एक ही सॉकिट से बहुत ज्यादा विद्युत उपकरणों को संयोजित नहीं करना चाहिए; क्योंकि इससे अतिभारण हो सकता है।

Bihar Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युत-चुंबकीय प्रेरण की परिघटना –
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर:
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं –
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर:
(a) जनित्र

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि –
(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc जनित्र में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान –
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए।
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) असत्य
(b) सत्य
(c) सत्य
(d) सत्य

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के तीन तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने वाले तीन तरीके निम्नवत् हैं –
1. स्थायी चुम्बक
2. विद्युत धारा
3. गतिमान आवेश

प्रश्न 8.
परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर:
पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं। धारावाही परिनालिका का एक सिरा दक्षिणी ध्रुव एवं दूसरा सिरा उत्तरी ध्रुव की तरह कार्य करता है। परिनालिका के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानांतर होती हैं।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
इसका अर्थ है कि परिनालिका के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र – सबसे अधिक होता है तथा सभी जगह एकसमान होता है। हाँ, परिनालिका के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव की पहचान हम छड़ चुम्बक से कर सकते हैं। यदि छड़ चुम्बक का उत्तरी ध्रुव परिनालिका की ओर आकर्षित होता है तो यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव की भी पहचान की जा सकती है।

प्रश्न 9.
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर:
जब किसी धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस पर कार्यरत बल के लिए व्यंजक
F = BIL sinθ
जहाँ B = चुंबकीय क्षेत्र
I = धारा की शक्ति
L = चालक की लंबाई
θ = धारावाही चालक एवं चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के बीच का कोण।
अत: F का मान जब θ = 90° होगा तो अधिकतम होगा अर्थात् चालक एवं चुंबकीय क्षेत्र दोनों एक-दूसरे के लंबवत् हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियमानुसार, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है? (2011, 13, 15, 16, 18)
उत्तर:
विद्युत मोटर विद्युत मोटर एक ऐसा साधन है, जो विद्युत-ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलता है। सिद्धान्त जब किसी कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जो कुण्डली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
कार्य-विधि जब बैटरी से कुण्डली में विद्युत-धारा प्रवाहित करते हैं तो फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से, कुण्डली की भुजाओं AB तथा CD पर बराबर, परन्तु विपरीत दिशा में दो बल कार्य करने लगते हैं। ये बल एक बल-युग्म बनाते हैं, जिसके कारण कुण्डली दक्षिणावर्त दिशा में घूमने लगती है। कुण्डली के साथ उसके सिरों पर लगे विभक्त वलय भी घूमने लगते हैं। इन विभक्त वलयों की सहायता से धारा की दिशा इस प्रकार रखी जाती है कि कुण्डली पर बल लगातार एक ही दिशा में कार्य करे अर्थात् कुण्डली एक दिशा में घूमती रहे।

विभक्त वलय का महत्त्व विभक्त वलय का कार्य कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है। जब कुण्डली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का ब्रुशों से सम्पर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से सम्पर्क जुड़ जाता है। इसके फलस्वरूप कुण्डली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुण्डली एक ही दिशा में घूमती रहे।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर:

  1. कूलर
  2. पंखा;
  3. एअर कंडीशनर;
  4. पंप आदि में विद्युत मोटर का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 13.
कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक –

  1. कुंडली में धकेला जाता है।
  2. कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।
  3. कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।

उत्तर:

  1. कुण्डली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होगी तथा गैल्वेनोमीटर विक्षेप प्रदर्शित करेगा।
  2. कुण्डली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होगी तथा गैल्वेनोमीटर विक्षेप प्रदर्शित करेगा, परन्तु विक्षेप की दिशा पहले की विपरीत होगी।
  3. कुण्डली में कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी इसलिए गैल्वेनोमीटर विक्षेप प्रदर्शित नहीं करेगा।

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर:
हाँ, प्रेरित धारा उत्पन्न होगी। कुंडली A में धारा परिवर्तन के कारण A से होकर गुजरने वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण B में धारा प्रेरित होती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए –
1. किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र
2. किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
3. किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर:
1. किसी धारावाही चालक के चारों ओर दक्षिण हस्त चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम से ज्ञात किया जाता है। इस नियम के अनुसार यदि धारावाही चालक चुम्बकीय को दाहिने हाथ में इस प्रकार पकड़ें कि अंगूठा क्षेत्र चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को निर्देशित करे तो चालक को पकड़ने वाली अंगुलियों की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
2. चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से ज्ञात की चालक पर बल जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र इस नियम के अनुसार यदि बाएँ हाथ की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लंबवत् इस प्रकार रखा जाए कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में एवं मध्यमा धारा की दिशा में हो तो अँगूठे की दिशा चालक पर आरोपित बल की दिशा को दर्शाता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
3. चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दाहिने चुम्बकीय क्षेत्र चालक की गति हस्त के नियम को उपयोग किया जाता है। इस नियम के अनुसार यदि दाएँ हस्त की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार रखें कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एवं अँगूठा चालक में गति की दिशा को दर्शाता है तो चालक में प्रेरित 0 धारा की दिशा मध्यमा द्वारा सूचित होती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रशों का क्या कार्य है? । (2009, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
उत्तर:
विद्युत जनित्र (अथवा डायनमो) वह यन्त्र है जो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित है। ये दो प्रकार के होते हैं –
1. प्रत्यावर्ती धारा जनित्र
2. दिष्ट धारा जनित्र।

दोनों का सिद्धान्त एक ही है।
सिद्धान्त जब किसी बन्द कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है, तो उसमें से गुजरने वाली चुम्बकीय फ्लक्स रेखाओं में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है और बाह्य परिपथ व कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा बहने लगती है। अत: कुण्डली को घुमाने में व्यय यान्त्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।

रचना (Construction) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र (प्रत्यावर्ती धारा डायनमो) में चित्र में दिखाए अनुसार तीन मुख्य भाग होते हैं –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
1. क्षेत्र चुम्बक (Field magnet) इसमें N, S ध्रुव खण्डों वाला एक शक्तिशाली चुम्बक होता है; जिससे N, S के बीच में शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जा सके। इस चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली (coil) को घुमाया जाता है।

2. कुण्डली (Coil) यह ताँबे के पृथक्कित तारों की एक कुण्डली ABCD होती है; जिसे आर्मेचर (armature) कहते हैं। कुण्डली को मुलायम लोहे के क्रोड पर लपेटा जाता है। इसे ध्रुवों के बीच क्षैतिज अक्ष के परितः जल के टरबाइन या डीजल या पेट्रोल इंजन द्वारा घुमाया जाता है।

3. सी वलय तथा बुश (Slip rings and bushes) ये ताँबे के बने दो छल्ले या सी वलय (slip rings) होते हैं, जिनका सम्बन्ध एक ओर तो कुण्डली ABCD से आए ताँबे के तारों से होता है तथा दूसरी ओर कार्बन के दो बुशों X, Y से होता है। इन बुशों का सम्बन्ध बाह्य परिपथ जिसमें धारा भेजनी है, से कर देते हैं। चित्र में बाह्य परिपथ एक बल्ब के द्वारा दिखाया गया है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

क्रिया-विधि –
1. चित्र में दिखाए अनुसार कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है, अर्थात् इस समय उत्पन्न प्रेरित वि०वा० बल तथा धारा शून्य होगी।

2. जैसे-जैसे कुण्डली दक्षिणावर्त दिशा में घूमती है, उनमें से होकर गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं या फ्लक्स का मान बढ़ता जाता है तथा प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है, जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ वाले नियम से ज्ञात की जा सकती है। बाह्य परिपथ में इसकी दिशा X से Y की ओर होगी। जब कुण्डली उसी दिशा में घूमते हुए ऊर्ध्वाधर (भुजा AB ऊपर तथा CD नीचे) हो जाती है, तो प्रेरित वि० वा० बल तथा धारा अधिकतम होती है। कुण्डली इस बीच 0° से 90° घूमी है।

3. कुण्डली के और अधिक घूमने पर कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान कम होता जाता है तथा कुण्डली के क्षैतिज होने पर (भुजा CD के स्थान पर AB तथा AB के स्थान पर CD) प्रेरित वि०वा० बल तथा विद्युत धारा धीरे-धीरे कम होकर शून्य हो जाती है। कुण्डली इस बीच 90° से 180° के बीच घूमी है।

4. कुण्डली को और घुमाने पर उसमें से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान फिर से बढ़ना शुरू होता है, परन्तु इस समय यदि धारा की दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ से ज्ञात की जाए, तो वह दिशा (ii) की तुलना में विपरीत दिशा में होगी तथा बाह्य परिपथ में Y से X की ओर प्रवाहित होगी। कुण्डली के ऊर्ध्वाधर (भुजा CD ऊपर तथा AB नीचे) होने पर प्रेरित वि०वा० बल तथा विद्युतधारा अधिकतम होगी। इस बीच कुण्डली 180° से 270° के बीच घूमी है।

5. यदि कुण्डली को और घुमाया जाए, जिससे कि वह दशा (i) की स्थिति में हो तो प्रेरित वि०वा० बल तथा प्रेरित विद्युत धारा का मान कुण्डली के क्षैतिज होने पर शून्य होगा। यदि कुण्डली में प्रेरित वि०वा० बल और कुण्डली के घूर्णीय कोण में एक ग्राफ खींचा जाए, तो वह निम्न चित्र के अनुसार होगा।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
कुण्डली का एक पूरा चक्कर लगाने पर विद्युत वाहक बल दो बार अधिकतम तथा दो बार शून्य होता है। कुण्डली के प्रत्येक घूर्णन में यह क्रिया दोहराई जाती है। इस प्रकार उत्पन्न धारा को प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current or A.C.) कहते हैं।

प्रश्न 17.
किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर:
जब घरेलू विद्युत परिपथ में विद्युतमन्य तार एवं उदासीन तार एक-दूसरे के संपर्क में आ जाते हैं तो परिपथ में धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है। इस घटना को ही लघुपथन कहते हैं।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
किसी विद्युत उपकरण के धात्विक भाग को तार की मदद से पृथ्वी के संपर्क करने वाले तार को भू-संपर्क तार कहते हैं। यह तार सुरक्षा यंत्र के रूप में विद्युत परिपथ में उपयोग में लाया जाता है। यदि किसी भी प्रकार से उपकरण में विद्युत धारा आ जाती है तो यह पृथ्वी को स्थानांतरित हो जाती है जिसके फलस्वरूप कोई दुर्घटना होने से बच जाती है।