अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
सामाजिक विभेद की उत्पत्ति का एक कारण बताएं ?
उतर-
सामाजिक विभेद की उत्पत्ति को एक प्रमुख कारण जन्म है।।

प्रश्न 2.
विविधता राष्ट्र के लिए कब घातक बन जाती है ?
उत्तर-
जब धर्म, क्षत्र, भाषा, जाति, संप्रदाय के नाम पर लोग आपस में उलझ पड़ते हैं, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर बना देता है। विविधताएँ जब सीमा का उल्लंघन करने लगती है तब सामाजिक विभाजन अवश्यंभावी हो जाता है तथा राष्ट्र के लिए घातक बन जाते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में सर्वधर्म समन्वय का एक उदाहरण प्रस्तत करें।
उत्तर-
भारत म मादरी के शहर वाराणसी में नाजनीन नामक एक मुस्लिम लड़की ने हनुमान-भक्तों की पवित्र पुस्तक हनुमान चालीसा को उर्दू में लिपिबद्ध कर सर्वधर्म समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया।

प्रश्न 4.
उत्तरी आयरलैंड में एक ही धर्म के दो समूहों के प्रतिनिधित्व करनेवाली दो राजनीतिक पार्टियों के नाम बताएँ। .
उत्तर-
उत्तरी आयरलैंड में एक ही धर्म को दो समूहों प्रोटेस्टैंटो और कैथोलिकों को प्रतिनिधित्व करनेवाली दो राजनीतिक पार्टियाँ थी-नेशनलिस्ट पार्टियाँ तथा यूनियनिस्ट पार्टियाँ।

प्रश्न 5.
सामाजिक विभेद्रों की राजनीति का एक अच्छा परिणाम बताएं।
उत्तर-
सामाजिक विभेदों की राजनीति का एक अच्छा परिणाम यह है कि अधिकांश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सामाजिक विभेद और राजनीति में अटूट संबंध देखने को मिलता है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
सामाजिक विभाजन राजनीतिक विभाजन में कैसे बदल जाता है?
उत्तर-
लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के बीच प्रतिद्वन्द्विता का माहोल होता है। इस प्रतिद्वन्द्विता के कारण कोई भी समाज फूट का शिकार बन सकता है। अगर राजनीतिक दल समाज में मौजूद विभाजनों को हिसाब से राजनीतिक होड़ करने लगे तो इससे सामाजिक विभाजन राजनीतिक विभाजन में बदल सकता है और ऐसे में देश विखंडन की तरफ जा सकता है। ऐसा कई देशों में हो चुका है।

प्रश्न 2.
‘विविधता में एकता’ का अर्थ बताएँ।
उत्तर-
विविधता में एकता भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की अपनी विशेषता रही है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। भारत में विविधता धार्मिक तथा सांस्कृतिक आधार पर है। हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख तथा ईसाई विभिन्न धर्मों के माननेवाले लोग भारत में हैं तथा उनकी सांस्कृतिक पहचान भी अलग-अलग है। लेकिन एक-दूसरे के पर्व-त्योहारों में वे शरीक होते हैं तथा वे अलग-अलग होते हुए पहले वे भारतवासी हैं। इसलिए कहा जाता है कि भारत में विविधता ये भी एकता विद्यमान है।

प्रश्न 3.
सामाजिक विभेद किस प्रकार सामाजिक विभाजन के लिए उत्तरदायी है ? …
उत्तर-
समाज में व्यक्ति के बीच कई प्रकार के सामाजिक विभेद देखने को मिलते हैं जैसे जाति के आधार पर विभेद, आर्थिक स्तर पर विभेद धर्म के आधार पर तथा भाषाई आधार पर विभेद। ये सामाजिक विभेद तब सामाजिक विभाजन का रूप ले लेती हैं. जब इनमें से कोई एक सामाजिक विभेद दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। जब किसी एक समूह को यह महसूस होने लगता है कि वे समाज में बिल्कुल अलग हैं तो उसी समय सामाजिक विभाजन प्रारंभ हो जाता है।

प्रश्न 4.
सामाजिक विभेद एवं सामाजिक विभाजन का अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
जब हम क्षेत्र में रहनेवाले विभिन्न जाति, धर्म, भाषा, संप्रदाय के द्वारा लोगों के बीच विभिन्नताएं पाई जाती हैं तो वे सामाजिक विभेद का रूप धारण कर लेते हैं। वहीं दूसरी तरफ – धन, रंग, क्षेत्र के आधार पर विभेद सामाजिक विभाजन का रूप ले लेता है। श्वेतों का अश्वेतों
के प्रति, अमीरों का गरीबों के प्रति व्यवहार सामाजिक विभाजन का कारण बन जाता है। भारत में सवर्णों और दलितों का अंतर सामाजिक विभाजन का रूप ले रखा है।

प्रश्न 5.
सामाजिक विभेदों में तालमेल किस प्रकार स्थापित किया जाता है ?
उत्तर-
लोकतंत्र में विविधता स्वाभाविक होता है परंतु ‘विविधता में एकता’ भी लोकतंत्र का ही एक गुण है। अधिकांश लोकतांत्रिक राज्यों में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को गले लगाया जाता है। एक धर्मनिरपेक्ष ये विभिन्न धर्म, भाषा तथा संस्कृति के लोग एक साथ मिलजुलकर रहते हैं। उनमें यही धारणा विकसित हो जाती है कि उनके धर्म, भाषा रीति-रिवाज अलग-अलग तो अवश्य है परंतु उनका राष्ट्र एक है। बेल्जियम की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विभिन्न भाषा-भाषी एवं क्षेत्र के लोगों के बीच अच्छा तालमेल है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती। कैसे?
उत्तर-
यह आवश्यक नहीं है कि हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप ले ले। सामाजिक विभिन्नता के कारण लोगों में विभेद की विचारधारा अवश्य बनती है, परन्तु यही विभिन्नता कहीं-कहीं पर समान उद्देश्य के कारण मूल का काम भी करती है। सामाजिक विभाजन एवं विभिन्नता में बहुत बड़ा अंतर है।

सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। सवर्णों एवं दलितों के बीच अंतर एक सामाजिक विभाजन है, क्योंकि दलित संपूर्ण देश में आमतौर पर गरीब वंचित, सुविधाविहिन एवं भेदभाव के शिकार हैं, जबकि सवर्ण आमतौर पर सम्पन्न एवं सुविधायुक्त हैं। दलितों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं।

परंतु इन सबके बावजूद जब क्षेत्र अथवा राष्ट्र की बात होती है तो सभी एक हो जाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं हो तो।

प्रश्न 2.
सामाजिक विभेदों की उत्पत्ति के कारणों पर प्रकाश डालें। ..
उत्तर-
किसी भी समाज में सामाजिक विभेदों की उत्पत्ति के अनेक कारण होते हैं। प्रत्येक . समाज में विभिन्न भाषा, धर्म, जाति संप्रदाय एवं क्षेत्र के लोग रहते हैं। इन सबों के आधार पर उनमें विभेद बना रहता है। सामाजिक विभेद का सबसे मुख्य कारण जन्म को माना जाता है। किसी व्यक्ति का जन्म किसी परिवार विशेष में होता है। उस परिवार का संबंध किसी न किसी जाति, समुदाय, धर्म, भाषा क्षेत्र से होता है। इस तरह उस व्यक्ति विशेष का संबंध भी उसी जाति, समुदाय, धर्म, भाषा तथा क्षेत्र से हो जाता है। इस प्रकार जाति, समुदाय, धर्म, भाषा, क्षेत्र के नाम पर सामाजिक विभेदों की उत्पत्ति होती है।

कुछ अन्य प्रकार से भी सामाजिक विभेद उत्पन्न होते हैं जिनका जन्म से कोई संबंध नहीं। होता है। जैसे लिंग, रंग, नस्ल; धन आदि भी विभेद लोगों में पाया जाता है जो कालांतर में सामाजिक विभेद का रूप ले लेते हैं। स्त्री-पुरुष; काला-गोरा लंबा-नाटा, गरीब-अमीर, शक्तिशाली और कमजोर का विभेद भी सामाजिक विभेद की उत्पत्ति का कारण होते हैं। व्यक्तिगत पसंद से भी सामाजिक विभेद की उत्पत्ति होती है। कई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करके एक अलग समुदाय बना लेते हैं। कुछ लोग अंतरजातीय विवाह संबंध स्थापित कर अपनी अलग पहचान बना लेते हैं। कुछ लोग अपने परिवार की परंपराओं से हटकर अलग विषय का अध्ययन करने, पेशे, खेल, उद्योग-धंधे तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का चयन कर अलग सामाजिक समूह के सदस्य बन जाते हैं और इस तरीके से भी सामाजिक विभेद उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 3.
सामाजिक विभेदों में तालमेल और संघर्ष पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
लोकतंत्र में विविधता स्वाभाविक है। परंतु विविधता में बनता भी लोकतंत्र का ही 24 गुण है। अधिकांश लोकतांत्रिक राज्यों में धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत को अपनाया जाता है। धर्मनिरपेक्ष राज्य में विभिन्न धर्मों के माननेवाले लोग मिल-जुलकर साथ रहते हैं। उनमें यह धारणा .. विकसित हो जाती है कि उनके धर्म अलग-अलग अवश्य हैं, परंतु उनका राष्ट्र एक है। एक से सामाजिक असमानताएँ कई समूहों में मौजूद हों तो फिर एक समूह के लोगों के लिए दूसरे समूहों से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो जाते हैं। विभिन्नताओं के बावजूद लोगों में सामंजस्य का भाव पैदा होता है। उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों ही ईसाई बहुल देश हैं। उत्तरी आयरलैंड में वर्ज और धर्म के बीच गहरी समानता है।

सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। अमरीका में श्वेत और अश्वेत का अंतर एक सामाजिक विभाज्य भी बन जाता है क्योंकि अश्वेत लोग आमतौर पर गरीब हैं, बेघर हैं तथा भेदभाव का शिकार हैं। हमारे देश में भी दलित आमतौर पर गरीब और भूमिहीन हैं। उन्हें भी अक्सर भेदभाव और अन्याय का शिकार होना पड़ता है। जब एक तरह का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है। विभिन्नताओं में टकराव की स्थिति किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए लाभदायक नहीं हो सकती।