Bihar Board Class 10 History सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली Notes

  • लोकतंत्रजनता का शासन है।
  • लोकतंत्र में जनता शासन में स्वयं भाग लेती है या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन में भागीदारी करती है इसे हीसत्ता में भागीदारी कहा जाता है।
  • सत्ता में भागीदारी के सही निर्वाह से ही समाज के विभिन्न समुदायों के बीच टकराव की स्थिति में कमी आती है।
  • सरकार के तीन अंग हैं कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका।
  • लोकतंत्र में सत्ता की भागीदारी का महत्व इस कारण भी है कि जनता ही सरकार को अपनी सहमति देती या वापस लेती है।
  • सत्ता का विकेन्द्रीकरण तभी संभव है जब सत्ता में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
  • विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच यदि सत्ता का समुचित विभाजन कर दिया जाता है तब आपसी टकराव की संभावनाक्षीण हो जाती है।
  • बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स है।
  • श्रीलंका के मूल निवासीसंहली भाषा बोलनेवाले बहुसंख्यक हैं और तमिल भाषा बोलनेवाले अल्पसंख्यका
  • भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न पर भाषाधर्म और समुदायों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं है।
  • भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न को अवसर की समानता के सिद्धांत को गले लगाकर सुलझा लिया गया है।
  • सत्ता में भागीदारी के क्षेत्र अल्पसंख्यक औषहसंख्यक का भेदभाव बरतना आपसी तनाव को निमंत्रण देना है।
  • यूरोपीय संघ का मुख्यालयबेल्जियम की राजधानीब्रसेल्स है।
  • सत्ता में भागीदारी की मात्रा जितनी अधिक होगीराजसत्ता को उतना ही अधिक स्थायित्व प्राप्त होगा।
  • सरकार के तीनों अंगों के बीच जब सत्ता का विभाजन कर दिया जाता है तब उसे शक्तियों कथक्करण कहते हैं।
  • जब सरकार के तीनों अंग अपनी-अपनी सत्ता का प्रयोग करते हैं तो इसे सत्ता कसतिज विभाजन कहा जाता है।
  • जब सरकार के तीनों अंग एक-दूसरे की सत्ता पर अंकुश रखते हैं तो इसे नियंत्रण एवं संतुलन की व्यवस्था कहते हैं।
  • न्यायपालिका कार्यपालिका औविधायिका दोनों पर अंकुश रखने का अधिकार है।
  • भारत में दो स्तर पर सरकार के गठन की व्यवस्था की गई है-केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें।
  • ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद, नगर निगम, नगर परिषस्थानीय सरकार की संख्याएँ हैं।
  • किसी भी देश में राजनीतिक दल हित समूह, संघ तथा संगठन भी अपने प्रभाव से सत्ता में भागीदारी सुनिश्चितकर लेते हैं।
  • किसी एक दल का बहुमत नहीं आने पर कई दलों को मिलाकर गठबंधनकी सरकार का गठन किया जाता है।
  • विभिन्न पेशाओं और व्यापार से जुड़े लोग अपने-अपने हित समूहों का गठन करते हैं।
  • हित-समूह अमने-अपने हितों की पूर्ति के लिए संघर्षरत रहते हैं और अपने हित में निर्णय लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाए रखते हैं।