अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पहियो पर चलनेवाला अस्पताल से संबंधित रेलगाड़ी का नाम क्या है ?
उत्तर-
जीवनरेखा एक्सप्रेस नाम की एक विशेष रेलगाड़ी चलनी शुरू हुयी। इसे ही पहियों पर चलने वाला अस्पताल कहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत के किन नगरों को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज महामार्ग बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत के दिल्ली, मुंबई, चेन्नई तथा कोलकाता नगरों को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज महामार्ग बनाया मया है।

प्रश्न 3.
जम्मूतवी से चलनेवाली हिमसागर एक्सप्रेस का अंतिम स्टेशन कौन है ?
उत्तर-
जम्मूतवी से चलने वाली हिमसागर एक्सप्रेस का अंतिम स्टेशन कन्याकुमारी है।

प्रश्न 4.
सुभाषचन्द्र बोस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा किस नगर में है?
उत्तर-
सुभाषचन्द्र बोस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कोलकाता नगर में स्थित है।

प्रश्न 5.
भारत के किस नगर में शीशमहल स्थित है ?
उत्तर-
भारत के उत्तर प्रदेश/उत्तराखण्ड नगर में शीशमहल स्थित है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
परिवहन और संचार के आधुनिक साधनों को हमारे राष्ट्र की जीवन-रेखाएँ क्यों कहा गया है?
उत्तर-
परिवहन और संचार के आधुनिक साधन किसी भी देश और उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएं होती हैं। परिवहन और संचार के विकसित साधनों से आज पूरा संसार घर-आँगन बन चुका है। इस साधनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत आसानी से कम समय में पहुंचा जा सकता है। अपने घर बैठे संसार भर की घटनाओं और समाचारों को जान सकते , हैं। परिवहन एवं संचार के साधनों ने तो जैसे जीवन के सभी क्षेत्रों में क्रांति पैदा कर दी है। परिवहन के साधनों द्वारा उपयोगी वस्तुओं को बाजार तक पहुंचाया जा सकता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों . में पैदा होने वाले अशांति, सूखा, बाढ़, महामारी जैसे आपदा के क्षेत्रों में सहायता कार्य करने में यातायात के साधन सहायक होते हैं। इसीलिए परिवहन और संचार के आधुनिक साधनों को हमारे राष्ट्र की जीवन रेखाएँ कहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में सड़कों का विकास तेजी से हो रहा है। इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर-
प्रथम एवं द्वितीय विश्व के साथ सड़कों का विकास शुरू हुआ लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत में सड़क मार्ग का तेजी से विकास हुआ है, वर्तमान में विकास कई गुणा अधिक हुआ है। 1947-48 ई. में भारतीय सड़कमार्ग की कुल लम्बाई 3.48 लाख किमी. थी जो वर्तमान समय में 18 लाख किमी. है। इनमें से करीब 8 लाख किमी. पक्की सड़कें हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रति 100 वर्ग किमी. पर 62 किमी. एवं 1 लाख जनसंख्या पर 243 किमी. लम्बी सड़कें हैं।

जहाँ तक प्रादेशिक वितरण का प्रश्न है वह अत्यन्त ही असमान है। सामान्यतः दक्षिण भारत में सड़कों का विकास अधिक हुआ है। सड़कों की सर्वाधिक लम्बाई महाराष्ट्र में है। अतः इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारत में सड़कों का विकास तेजी से हो रहा है।

प्रश्न 3.
भारत में सड़कों की सघनता किन दो क्षेत्रों में अधिक है और क्यों
उत्तर-
भारत में सड़कों की सघनता निम्न दो क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।

  • गंगा के मैदान में (बंगाल से लेकर पंजाब तक)
  • तमिलनाडु, केरल में (पूर्वी तट से पश्चिमी तट तक)

उत्तरी मैदानी भाग में सड़कों का घनापन अधिक है। परन्तु पक्की सड़कें की लम्बाई कम है। परन्तु दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य और केरल राज्य में पक्की सड़के अधिक हैं। इन क्षेत्रों में सड़कों का घनापन अधिक होने का कारण यह है कि उत्तर भारत का मैदानी क्षेत्र हो या दक्षिण का तमिलनाडु या केरल राज्य हो, यह सभी क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र हैं, समतल भू भाग है अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है। इसलिए इन क्षेत्रों में सड़कों की सघनता अधिक पाई जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सड़कों अथवा रेलमार्गों के वितरण पर सकारण प्रकाश डालें।
उत्तर-
भारत में सड़क मार्ग परिवहन का एक प्रमुख साधन है। इन सड़क मार्गों का देश के विभिन्न भागों में समुचित रूप से वितरण हुआ है। हमारे देश में सड़क से संबंधित एक्सप्रेस राष्ट्रीय महामार्ग हैं। जिनका वितरण दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता इत्यादि क्षेत्रों में प्रमुख रूप से हुआ है। इसी प्रकार राष्ट्रीय महामार्ग की सड़कें बहुत महत्व की हैं। इन राष्ट्रीय महामार्गों का वितरण देश के विभिन्न भागों में हुआ है। ये सड़कें विभिन्न राज्यों की राजधानियों को आपस में मिलाती हैं। इसी प्रकार राज्य महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी के क्षेत्रों में पायी जाती है। ये महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी को उस राज्य के प्रमुख नगरों से मिलाते हैं। इसी प्रकार जिले की सड़कों का वितरण जिला मुख्यालय के क्षेत्रों में किया गया है। ये सड़कें जिला मुख्यालय को जिले के अन्य नगरों एवं कस्बों से जोड़ते हैं। गाँव की सड़कों का वितरण ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया है। ये सड़कें गाँव को जिले के विभिन्न नगरों में मिलाती हैं। सीमा सड़कों का वितरण देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में किया जाता है।

भारत में रेलवे परिवहन का सबसे प्रमुख साधन है। देश में रेल मार्गों का जाल बिछा हुआ है जिसकी कुल लंबाई लगभग 64 हजार किमी. है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रेलमार्ग का वितरण किया गया है। भारत में रेलमार्गों का वितरण प्रमुख रूप से उत्तर भारत के मैदानी भागों में और दक्षिण भारत के सौराष्ट्र एवं तमिलनाडु में हुआ है। उत्तर भारत के मैदानी भाग में कृषि, वाणिज्य-व्यवसाय और उद्योग-धन्धों का समुचित विकास हुआ है जिसके कारण रेलमार्ग अधिक पाये जाते हैं, क्योंकि यहाँ की समतल भूमि पर रेलमार्गों का आसानी से निर्माण किया जा सकता है। इसलिए यहाँ रेलमार्गों का अधिक घनत्व पाया जाता है। इसी प्रकार सौराष्ट्र और तमिलनाडु में समतल भूमि अधिक है। साथ ही इन क्षेत्रों में वाणिज्य-व्यवसाय तथा उद्योग-धन्धों का समुचित विकास हुआ है। जिसके कारण इन क्षेत्रों में रेलमार्गों का विकास अधिक किया गया है।

प्रश्न 2.
भारतीय व्यापार के विकास का विवरण देते हुए व्यापार में भाग लेने वाले प्रमुख पत्तनों का वर्णन करें।
उत्तर-
जलमार्ग परिवहन का एक प्रमुख साधन माना जाता है। जल परिवहन के अन्तर्गत दो भाग आते हैं-

  • नदी जलमार्ग तथा
  • समुद्री जलमार्ग। नदी जलमार्ग से आन्तरिक व्यापार के लिए परिवहन का काम लिया जाता है जबकि समुद्रीजलमार्ग से विदेशी व्यापार होता है।

समुद्री जलमार्ग के अन्तर्गत देश में विभिन्न पत्तन या बन्दरगाह हैं। इन्हीं पत्तनों पर समुद्री जहाज ठहरते हैं और माल को निर्यात व्यापार करने के लिए जहाज पर लादा जाता है। साथ ही विदेशों से आयात किए हुए माल इन्हीं पत्तनों से जहाज से उतारा जाता है। यानी आयात व्यापार होता है। अतः विदेशी व्यापार के विकास के लिए इन पत्तनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत में कई प्रमुख पत्तन या बंदरगाह हैं जिनसे व्यापार-कार्य होता है।

हमारे देश के पश्चिमी तट पर कांडला, मुंबई, मार्मगाओ, न्यू मंगलौर और कोचीन (कोच्चि) पत्तन प्रमुख रूप से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भाग लेते हैं। हाल ही में मुंबई में पं. जवाहरलाल नेहरू के नाम पर नए पत्तन का विकास किया गया है। मुंबई भारत का सबसे बड़ा पत्तन है। खनिज तेल के अधिकतर उत्पादों का व्यापार यहीं से होता है। न्यू मंगलौर का विकास केन्द्रमुख लौह-अयस्क के निर्यात के लिए मुख्य रूप से हुआ है। मामगाओ भारत का पाँचवाँ बड़ा पत्तन है, जहाँ से लोहा और मैंगनीज का निर्यात होता है। कोचीन का पोताश्रय नैसर्गिक है और उसकी पृष्ठभूमि में रबर, कहवा तथा नारियल कुंज मिलते हैं। नारियल की जटा और गरम मसालों के व्यापार के चलते इसे पुराने जमाने से प्रसिद्धि मिलती रही है।

भारत के पूर्वी तट पर प्रमुख पत्तन हैं तूती कोसि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता हल्दिया तूती कोरिम में मुख्यतः कोयला से लदे जहाज माल उतारते हैं। चेन्नई (मद्रास) मुख्यतः खनिज तेल और लोहा अयस्क का व्यापार करता है, विशाखापत्तनम का पत्तन सबसे गहरा है जो मुख्यतः मैंगनीज, लौह-अयस्क का निर्यात करता है। कोलकाता नदी पत्तन है। इसके समीप हल्दिया का विकास कोयला और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार के लिए किया जा रहा है।

प्रश्न 3.
यातायात के साधनों को देश की जीवन-रेखा (Life-line) क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
यातायात के आधुनिक साधन किसी भी राष्ट्र और उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ हैं। यातायात के विकसित साधनों के माध्यम से पूरी पृथ्वी घर-आँगन-सी बन चुकी है। इन साधनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम समय में आसानी से पहुंचा जा सकता है। जो दूरियाँ तय करने में हफ्तों-महीनों लगते थे वह अब घंटों में तय हो जाती हैं। आज पर्वत, पठार, घाटियों, बन, सागर-महासागर बाधक नहीं रहे, आसानी से उन्हें पार किया जाता है।

परिवहन के सभी साधनों ने मिलकर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्रांति पैदा कर दी है। परिवहन के साधनों द्वारा उपयोगी वस्तुएँ बाजार तथा उपभोक्ताओं तक शीघ्रता से पहुंचाई जाती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में सूखा, बाढ़ अथवा महामारी जैसी समस्या का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है और तत्काल सहायता पहुँचाने में सक्षम है। यातायात के साधनों के विकास ने देश के विभिन्न भागों के लोगों में भाईचारगी पैदा की है, राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है और आर्थिक मजबूती प्रदान की है।

औद्योगिक विकास मूलतः यातायात के साधनों पर ही निर्भर है। कच्चा माल कारखाने तक लाने और तैयार माल बाजार तक ले जाने में यातायात के साधन ही सहायक होते हैं। अत: यातायात के साधन देश की जीवन रेखाएँ होती है।

प्रश्न 4.
निर्यात संवर्द्धन के लिए सरकार द्वारा किए प्रयासों की चर्चा करें।
उत्तर-
भारत में निर्यात संवर्द्धन के लिए सरकार द्वारा दो प्रयास किए गये हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
(i) नयी विदेश व्यापार नीति देश की आर्थिक उन्नति निर्यात पर निर्भर करती है। क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। सरकार द्वारा 31 अगस्त, 2004 को नयी विदेश व्यापार नीति लाई गयी। जिसका उद्देश्य 2004-2009 के बीच विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा दुगुना करना था। इसमें वर्णित सख्त प्रावधानों के चलते उद्देश्य के अनुरूप शीघ्र ही सापेक्षिक परिणाम मिलने लगे। तीन वर्षों के अन्तर ही भारत के निर्यात में सराहनीय वृद्धि हुयी है।

(ii) विशेष आर्थिक क्षेत्र भारत एशिया का पहला देश है जिसने निर्यात की वृद्धि के लिए निर्यात संसाधन क्षेत्र को स्वीकार किया है। परन्तु कुछ खामियों के चलते निर्यात के संवर्द्धन की दिशा में ये क्षेत्र (गुजरात के कांडला, महाराष्ट्र में सांताक्रुज, केरल में कोच्चि, तमिलनाडु में चेन्नई, आन्ध्रप्रदेश में विशाखापत्तनम, प. बंगाल में फाल्टा और उत्तर प्रदेश में नोएडा) कारगर नहीं हो पाये। परिणामस्वरूप अप्रैल 2000 में कई नये प्रावधानों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र की नीति की घोषणा की गयी। अतः इस प्रकार यह कहा जा सकता है निर्यात संवर्द्धन के क्षेत्र में भारत सरकार ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाए हैं जिसका दूरगामी परिणाम सामने आया है। और विभिन्न भागों के लोगों सहायता पहुंचाने में समा समस्या का आस इकाई |