अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
संसाधन दो प्रकार के होते हैं-
(क) भौतिक
(ख) जैविका

प्रश्न 2.
मानव निर्मित संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मानव द्वारा विकसित किए गए संसाधन जैसे-भवन, सड़क, गाँव, मशीन, उद्योग आदि मानव निर्मित संसाधन कहलाते हैं। .

प्रश्न 3.
संभावी संसाधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
किसी प्रदेश में वे विद्यमान संसाधन जिनका अब तक उपयोग नहीं किया गया है संभावी संसाधन कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
जैव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
वे सभी संसाधन, जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है और जिनमें जीवन व्याप्त है, जीव संसाधन कहलाते हैं।।

प्रश्न 5.
अजैव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
वे सभी संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
समाप्यता के आधार पर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-

  • नवीकरण योग्य तथा
  • अनवीकरण योग्य संसाधना

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय संसाधन किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-
कानूनी रूप से देश के भीतर मौजूद सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐसे संसाधन, जो किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होता है, व्यक्तिगत संसाधन कहे जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सतत पोषणीय विकास क्या है ? रियो एजेंडा 21 और सतत पोषणीय विकास के बीच क्या संबंध है ?
उत्तर-
भावी पीढ़ियों के पोषण को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना विकास करना ही सतत पोषणीय विकास है। जून 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो शहर में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन के तत्वावधान में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा जिस घोषणा-पत्र को स्वीकार किया गया, उसे एजेंडा 21 कहा गया है। एजेंडा 21 एक कार्यसूची है जिसका उद्देश्य समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग द्वारा पर्यावरणीय क्षति से निपटना है। यह अंततः सतत पोषणीय विकास पर बल देता है।

प्रश्न 2.
नवीकरणीय एवं अनवीकरणीय संसाधनों में अंतर करें। नवीकरणीय संसाधनों का वर्गीकरण भी प्रस्तुत करें।
उत्तर-
वातावरण के वे सभी पदार्थ जो प्राकृतिक रूप में स्वतः उपलब्ध होते रहते हैं, नवीकरणीय संसाधन के रूप में जाने जाते हैं, जैसे—सूर्यप्रकाश, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पक्षी, जीव-जंतु इत्यादि। दूसरी ओर, वैसे सभी पदार्थ जो एक बार समाप्त होने के बाद पुनः प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं; अनवीकरणीय संसाधनों की श्रेणी में आते हैं, जैसे कोयला, पेट्रोलियम आदि।
नवीकरणीय संसाधन दो प्रकार के होते हैं-(i) वैसे नवीकरणीय संसाधन जो प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होते हैं, उन्हें सतत उपलब्ध संसाधन कहा जाता है, जैसे-पानी, जीव-जंतु, वन इत्यादि।
(ii) वैसे नवीकरणीय संसाधन जिसकी उपलब्धता सदैव एकसमान नहीं होता है, प्रवहनीय संसाधन कहलाते हैं, जैसे नदियों में जल आदि।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय संसाधन क्या है ? किस परिस्थिति में निजी या सामुदायिक संसाधन राष्ट्रीय संसाधन बन जाते हैं ? उल्लेख करें।
उत्तर-
वैधानिक रूप से किसी राज्य अथवा देश की सीमा के अंदर पाए जानेवाले समस्त संसाधनों को राष्ट्रीय संसाधन कहा जाता है। प्राचीनकाल में राजाओं को राज्य की संपत्ति का स्वामी माना जाता था। वर्तमान समय में यह अधिकार सरकार के पास है। आवश्यकता पड़ने पर सड़क या रेल लाइन बिछाने, नहरों और कारखानों अथवा सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में यानी राष्ट्रीय महत्त्व के निर्माण कार्य या विकासात्मक कार्य के लिए सरकार द्वारा जब निजी अथवा सामुदायिक संसाधन का अधिग्रहण किया जाता है तब वह राष्ट्रीय संसाधन बन जाता है। इसी तरह, सागरतट से 19.2 किलोमीटर दूर तक का भाग भी राष्ट्रीय संसाधन में शामिल है।

प्रश्न 4.
“संसाधन नियोजन वर्तमान समय की आवश्यकता है।” स्पष्ट करें। अथवा, संसाधन नियोजन की प्रक्रिया में शामिल कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
भारत में संसाधनों का वितरण काफी असमान है। किसी भी प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए कई प्रकार के संसाधनों की आवश्यकता होती है। किसी प्रदेश में संसाधन विशेष की अधिकता होती है तो दूसरे प्रदेश में इसकी कमी होती है। अतः, देश के संपूर्ण एवं एकसमान सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए संसाधनों का नियोजन आवश्यक होता है।
संसाधन नियोजन की प्रक्रिया में शामिल कार्य है

  • विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना।
  • आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय सर्वेक्षण करना, मानचित्र बनाना तथा संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक मापन करना।
  • उपयुक्त तकनीक एवं संस्थागत ढाँचा तैयार करना।
  • संसाधन विकास योजनाओं एवं राष्ट्रीय विकास योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर

प्रश्न 1.
प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रौद्योगिक तथा आर्थिक विकास ने संसाधनों की माँग में अत्यधिक तेजी ला दी है। यह बात आगे दिए गए विवरण से स्पष्ट हो जाएगी.
1. प्रौद्योगिक विकास– मानव ने आज हर क्षेत्र में नई-नई तकनीके खोज निकाली हैं। इनके फलस्वरूप उत्पादन की गति बढ़ गई है। आज उपभोग की प्रत्येक वस्तु का उत्पादन व्यापक स्तर पर होने लगा है। जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ वस्तुओं की मांग भी बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त उपभोग की प्रकृति भी बदल गई है। आज प्रत्येक उपभोक्ता पहली वस्तु को त्याग करके उसके स्थान पर उच्च कोटि की वस्तु का उपयोग करना चाहता है। इन सबके लिए अधिक-से-अधिक कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है। अत: कच्चे माल की प्राप्ति के लिए हमारे संसाधनों पर बोझ बढ़ गया है।

2. आर्थिक विकास आज संसार में आर्थिक विकास की होड़ लगी हुई है। विकासशील राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे हैं। इसके लिए वे अपने उद्योगों का विस्तार कर रहे हैं तथा परिवहन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसका सीधा संबंध संसाधनों के उपभोग से ही है। दूसरी ओर विकसित राष्ट्र अपने आर्थिक विकास से प्राप्त धन-दौलत में और अधिक वृद्धि करना चाहते हैं। यह वृद्धि संसाधनों के उपभोग से ही संभव है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका संसार के औसत से पाँच गुणा अधिक पेट्रोलियम का उपयोग करता है। अन्य विकसित देश भी पीछे नहीं हैं।
सच तो यह है कि प्रौद्योगिक तथा आर्थिक विकास अधिक-से-अधिक संसाधनों के उपभोग की जननी है।

प्रश्न 2.
स्वामित्व के आधार पर संसाधन के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण निम्नांकित है

  • व्यक्तिगत संसाधन-व्यक्तिगत स्वामित्व के अन्तर्गत भूमि, मकान, बाग-बगीचे।
  • सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन जैसे गाँव की सम्मिलित भूमि (चारण, भूमि, श्मशान भूमि, तालाब आदि), सार्वजनिक पार्क, खेल का मैदान आदि।
  • राष्ट्रीय संसाधन-राष्ट्रीय सीमाओं के अन्तर्गत आनेवाली सड़कें, नहरें, रेलवे लाइन, सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, सरकारी भूमि तथा सरकारी भवन आदि।
  • अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन-जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा अधिकृत 200 कि.मी. की दूरी से खुले महासागरीय संसाधन।

प्रश्न 3.
भारत में संसाधन-नियोजन की प्रक्रिया को लिखें।
उत्तर-
संसाधन-नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, इसके लिए आवश्यक क्रिया-कलाप की आवश्यकता होती है। ये क्रिया-कलाप संसाधन-नियोजन के सोपान होते हैं।
संसाधन-नियोजन के सोपानों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-

  • देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कराने के लिए सर्वेक्षण कराना।
  • सर्वेक्षणोपरान्त, मानचित्र तैयार कराना एवं संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक आधार पर आकलन करना।
  • संसाधन विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल एवं संस्थागत नियोजन की रूपरेखा तैयार करना।
  • राष्ट्रीय विकास योजना एवं संसाधन विकास योजनाओं के मध्य समन्वय स्थापित करना। हमारे देश में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से ही संसाधन-नियोजन के लक्षित उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है, इस संदर्भ में भारत सरकार प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही प्रयासरत है।