Bihar Board Class 10 Geography निर्माण उद्योग Notes

  • कच्चे मालों द्वारा जीवनोपयोगी वस्तुएँ तैयार करना विनिर्माण उद्योग कहलाता है जो किसी
    भी राष्ट्र के विकास और सम्पन्नता का सूचक है।
  • भारत में पहला जूट कारखाना 1855 ई. में कोलकाता के निकट ‘रिसरा’ नामक स्थान पर स्थापित हुआ था।
  • मुम्बई को सूती वस्त्रों की महानगरी कहा जाता है।
  • भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की सभी लौह-इस्पात संयंत्रों का प्रबंधन भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अधीन है।
  • द्वितीय पंचवर्षीय योजनाकाल के दौरान दुर्गापुर, राउरकेला एवं भिलाई में लौह-इस्पात
    कारखाने लगाये हैं।
  • अन्गोरा कुन खरगोश के रोएँ से बनाया जाता है।
  • वर्तमान समय में सूती-वस्त्र उद्योग की देशभर में 1824 से अधिक मिलें हैं।
  • चीनी का कुल उत्पादन 2000 में 182 लाख टन हुआ।
  • प. बंगाल में जूट मिलें हुगली तट पर बांसबेरिया से बिरलापुर तक स्थापित हैं।
  • देश के कुल निर्यात में वस्त्र उद्योग की भागीदारी 30% है।
  • 1882 ई० में टीटागढ़ (प. बंगाल) में टीटागढ़ पैपर मिल्स की स्थापना की गयी।
  • आज देश में 600 से अधिक लुगदी तथा कागज मिलें हैं।
  • भारत में 10 वृहत एवं 200 से अधिक लधु लोहा एवं इस्पात कारखाने हैं।
  • सकल राष्ट्रीय उत्पादन में निर्माण उद्योगों का हिस्सा 17% है।
  • सूती वस्त्र उद्योग में भारत आत्म-निर्भर है।
  • भारत में अभी लगभग 78 जूट मिलें हैं। जूट के निर्यात में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है।
  • लोहा-इस्पात का आधुनिक ढंग का बड़ा कारखाना 1907 ई. में स्वर्ण रेखा घाटी में साकची नामक स्थान पर खोला गया।
  • भारत में सीमेंट का पहला कारखाना 1904 ई. में तमिलनाडु में खुला था।
  • ऐलुमिनियम कारखाने सस्ती बिजली क्षेत्र के निकट स्थापित किए जाते हैं।
  • ताँबा उद्योग के कारखाने घाटशिला (झारखण्ड), खेत्री (राजस्थान) एवं तूतीकोरिन (तमिलनाडु) में हैं।
  • सिंदरी उर्वरक कारखाना झारखण्ड में 1952 ई. में खुला।
  • भारत प्रतिवर्ष 147.81 करोड़ टन सीमेंट तैयार करता है।
  • उद्योगों के विकास से लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा होता है।
  • उद्योग-स्थापन के कई कारक हैं, जैसे-कच्चे माल की प्राप्ति, शक्ति आपूर्ति, यातायात की सुविधा, मानव संसाधन, बाजार, राजनीतिक स्थिरता, पूँजी की, सुविधा।
  • स्वामित्व के आधार पर प्रमुख कार्यों के आधार पर, आकार के आधार पर और कच्चे माल … . तथा तैयार माल के भार के आधार पर उद्योगों के कई वर्ग हैं।
  • कच्चे मालों द्वारा जीवनोपयोगी वस्तुएँ तैयार करना विनिर्माण उद्योग कहलाता है जो किसी भी राष्ट्र के विकास और संपन्नता का सूचक है।