Bihar Board Class 10 Economics Solutions Chapter 5 रोजगार एवं सेवाएँ

 


Bihar Board Class 10 Economics रोजगार एवं सेवाएँ Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही विकल्प चुनें।

रोजगार एवं सेवाएं Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
आर्थिक विकास का तीसरा क्षेत्र क्या है?
(क) कृषि क्षेत्र
(ख) विज्ञान क्षेत्र
(ग) शिक्षा क्षेत्र
(घ) सेवा क्षेत्र
उत्तर-
(घ) सेवा क्षेत्र

रोजगार के अवसर Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
मानव पूंजी के प्रमुख घटक कितने हैं ?
(क) 6
(ख) 4
(ग) 5
(घ) 8
उत्तर-
(ग) 5

Bihar Board Class 10 History Solution प्रश्न 3.
कौन बिमारू (BIMARU) राज्य नहीं है ?
(क) बिहार
(ख) मध्य प्रदेश
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) उड़ीसा
उत्तर-
(ग) उत्तर प्रदेश

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 4.
कौन-सी सेवा गैर सरकारी है ?
(क) सैन्य सेवा
(ख) वित्त सेवा
(ग) मॉल सेवा
(घ) रेल सेवा
उत्तर-
(ग) मॉल सेवा

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 5.
ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्या है ?
(क) कोयला
(ख) पेट्रोलियम
(ग) विद्युत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(घ) इनमें से कोई नहीं

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Bihar Board Class 10 Economics Solution प्रश्न 1.
बाह्य स्रोती (Outsourcing) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ या अन्य कंपनियाँ संबंधित नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कंपनियों की बजाय किसी बाहरी या विदेशी स्रोत या संस्था या समूह से प्राप्त करती हैं तो उसे बाह्य स्रोती कहा जाता है।

Bihar Board Class 10 Sst Solution प्रश्न 2.
सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र को – बतलाएँ।
उत्तर-
सूचना प्रौद्योगिकी के पाँच सेवा क्षेत्र इस प्रकार हैं

  1. कम्प्यूटर सेवाएँ
  2. विज्ञापन
  3. सुरक्षा
  4. कानूनी सेवाएँ
  5. चिकित्सीय सेवाएँ।

Bihar Board Class 10th Geography Solution प्रश्न 3.
सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब देश व राज्य की सरकार लोगों को काम के बदले मासिक वेतन देती है और इनसे विभिन्न क्षेत्रों में काम लेती है तो उसे सरकारी सेवा की सूची में रखा जाता है। सरकारी सेवा के कुछ व्यापक क्षेत्र का उदाहरण इस प्रकार है-सैन्य सेवा, शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, अभियंत्र सेवा, वित्त सेवा, बैंकिंग सेवा इत्यादि।

Geography Class 10 Bihar Board प्रश्न 4.
गैर-सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब सरकार अपने द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को गैर-सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लोगों तक पहुँचाने का काम करती है अथवा लोग स्वयं अपने प्रयास से ऐसी सेवाओं के सृजन से लाभान्वित होते हैं, तो उसे गेर-सरकारी सेवा के अन्तर्गत रखा जाता है। जैसे-ब्यूटी पार्लर, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ, स्वरोजगार सेवाएँ, बस सेवा, विमान सेवा इत्यादि। इनमें से कुछ सेवाएं ऐसी हैं जो सरकारी एवं गैर-सरकारी दोनों ही स्तर पर चलायी जाती हैं। खासकर यातायात सेवाएँ, शिक्षा सेवाएँ, स्वास्थ्य सेवाएं, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ इत्यादि का क्षेत्र । इतना व्यापक है कि सरकार अकेले सक्षम नहीं है।

Social Science In Hindi Class 10 Bihar Board Pdf प्रश्न 5.
आधारभूत संरचना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आधारभूत संरचना के अन्तर्गत दो आधारभूत आर्थिक संरचनाएँ आती हैं-
(i) आर्थिक आधारभूत संरचना (ii) गैर-आर्थिक आधारभूत संरचना।

(i) आर्थिक आधारभत संरचना ये संरचनाएँ प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन एवं लोगों की खुशहाली में वृद्धि करती है। आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों से इनका प्रत्यक्ष संबंध होता है।
आर्थिक संरचना के अन्तर्गत निम्नलिखित को शामिल किया जाता है-

  • वित्त बैंकिंग क्षेत्र, बीमा क्षेत्र, अन्य सरकारी वित्तीय क्षेत्र।
    हो ऊर्जा कोयला, विद्युत, तेल, पेट्रोलियम गैस, गैर-पारम्परिक ऊर्जा एवं अन्य।
  • यातायात रेलवे, सड़कें, वायुयान, जलयान।
  • संचार डाक, तार, टेलीविजन, टेलीसंचार, मीडिया एवं अन्य।

(ii) गैर-आर्थिक आधारभत संरचना इसके अन्तर्गत मनुष्य की क्षमता एवं उत्पादकता में वृद्धि कर अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादन एवं अन्ततः आर्थिक विकास में सहायता प्रदान किया जाता है। जो इस प्रकार हैं

  • शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्चतर माध्यमिक शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं अन्य।
  • स्वास्थ्य अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, नर्सिंग होम एवं अन्य।
  • नागरिक सेवाएँ सामाजिक चेतना, सफाई एवं अन्य।

प्रश्न 6.
“रोजगार” और “सेवा” में क्या संबंध है?
उत्तर-
“रोजगार एवं सेवाएँ” का अभिप्राय यहाँ इन बातों से है जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्रित करता है और एकत्रित धन को जब पूँजी के रूप में व्यवहार किया जाता और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है। अतः रोजगार एवं सेवा एक-दूसरे के पूरक हैं। रोजगार एवं सेवाएँ आर्थिक क्रियाओं के विकास और विस्तार से उपलब्ध होती हैं इसलिए कहा जाता है कि आर्थिक प्रगति के कारण देश के विकास के साथ सेवा क्षेत्र का विकास होता है जिसके फलस्वरूप लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होने लगते हैं।

प्रश्न 7.
आर्थिक संरचनाओं का क्या महत्व है?
उत्तर-
आर्थिक संरचनाएँ प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन एवं लोगों में खुशहाली पैदा करती हैं। आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों से इनका प्रत्यक्ष संबंध होता है। आर्थिक संरचनाओं के अन्तर्गत वित्त, ऊर्जा, यातायात एवं संचार इत्यादि को रखते हैं।

उपर्युक्त विषयों से आर्थिक संरचना पूर्ण होती है क्योंकि इन्हीं विषयों के अन्तर्गत बड़ी संख्या में रोजगार और सेवाएं मजबूत हैं जिससे भारत विकसित देश की पंक्ति में खड़ा हो सकता है। : अत: आर्थिक संरचना का भारतीय आधारभूत ढाँचा में महत्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 8.
मंदी का असर भारत में क्या पड़ा?
उत्तर-
मंदी का असर भारत में कम पड़ा क्योंकि यहाँ की पूंजी बाजार काफी मजबूत अवस्था  में है। यहाँ के इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोती में लगे हुए हैं। खासकर भारत का सूचना प्रौद्योगिकी ‘सेवा क्षेत्र काफी मजबूत है और पूरे विश्व में हमारे इंजीनियरों का स्थान अव्वल है। हमारी आधारभूत संरचना कमजोर होने के बावजूद वर्तमान मंदी का असर हमारे देश भारत पर कम पड़ा।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण का प्रभाव सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा?
उत्तर-
वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति परिलक्षित हुई है। सेवा क्षेत्र रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आये दिन मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं। वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया है। आर्थिक समीक्षा. 2006-07 और केन्द्रीय बजट 2007-08 के अनुसार सेवा क्षेत्र का यह योगदान 68.6 प्रतिशत हो गया है। 2006-07 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के योगदान का हिस्सा घटकर 18.5 प्रतिशत उद्योग का हिस्सा बढ़कर 26.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र का 55.1 प्रतिशत हो गया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सेवा क्षेत्र पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर-
आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति परिलक्षित हुई है। सेवा क्षेत्र रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत आये दिन मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं। वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा समीक्षा 2006-07 और केन्द्रीय बजट 2007-08 के अनुसार सेवा क्षेत्र का यह योगदान 68.6% हो गया है। 2006-07 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के योगदान का हिस्सा घटकर 18.5% उद्योग का हिस्सा बढ़कर 26.4% तथा सेवा क्षेत्र का 55.1% हो गया है।

प्रश्न 2.
विश्व के लिए भारत सेवा प्रदाता के रूप में कैसे जाना जाता है। उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर-
सेवा क्षेत्र में विशेषकर भारत में होटल व्यापार, परिवहन अथवा यातायात एवं संवाद वाहन सेवाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं। इसमें भी टेलीफोन विशेषकर मोबाईल फोन का सर्वाधिक योगदान रहा। सेवा क्षेत्र में विशेषकर वित्तीय सेवाओं की वृद्धि दर जो 2003-04 में 5.6% थी। 2004-05 में बढ़कर 8.7% और 2005-06 में 10.9% तथा पुनः बढ़कर 2006-07 में 11.1% हो गयी। आज इन उदार नीतियों के कारण ही पर्यटन होटल में रहना, खाना, घूमना, भ्रमण करना, सैर-सपाटयं, खरीदारी, निजी अस्पताल एवं विद्यालयों का प्रयोग व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी अनेक सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ी है। इस तरह की स्थिति छोटे-बड़े शहरों के अलावे बहुत बड़े-बड़े शहरों अथवा महानगरों में अधिक तेजी से बढ़ी है।

आज महत्वपूर्ण सेवाएँ विदेशों से प्राप्त करने की प्रवृत्ति बहुत तेजी से बढ़ गयी है। जैसे कम्प्यूटर सेवाएं, विज्ञापन, सुरक्षा, कानूनी सेवाएं, चिकित्सीय सेवाएँ इत्यादि।

भारत में आज तेजी से ध्वनि आधारित प्रक्रिया यानी जिसे बी. पी. ओ. अथवा कॉल सेन्टर कहा जाता है; अभिलेखांकन, लेखांकन, बैंकिंग सेवाएँ, रेलवे पूछताछ, संगीत की रिकॉर्डिंग, पुस्तक शब्दांकन, चिकित्सा संबंधी परामर्श, शिक्षण एवं शोध कार्य इत्यादि अनेक सेवाएँ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूरोपियन संघ जैसे कई विकसित देशों की कंपनियाँ प्रायः भारत की छोटी-छोटी कम्पनियों या संस्थाओं से प्राप्त कर रही हैं।

इन बहुराष्ट्रीय विदेशी कम्पनियों या सरकार का भारत से इन सेवाओं या सूचनाओं को प्राप्त करना तुलनात्मक लागत के आधार पर काफी फायदेमंद है। क्योंकि भारत में इन सेवाओं की तुलनात्मक लागत काफी कम है। इसका मुख्य कारण कुशल श्रमशक्ति की पर्याप्त उपलब्धता तथा निम्न मजदूरी द्वारा भारत अपने श्रम की मेघाशक्ति, कुशलता, विशिष्टता एवं निम्न मजदूरी के कारण जो सेवाएँ विदेशों को उनकी कम्पनियों के लिए भेजता है उसकी तुलनात्मक लागत काफी कम है। इसलिए इस क्षेत्र में व्यापक रोजगार मिल रहा है। यही कारण है कि आउट सोर्सिंग के मामले में भी भारत एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है, किन्तु संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड जैसे देशों में एक बहुचर्चित मुद्दा व समस्या भी बन गया है।
अतः कहा जा सकता है कि भारत विश्व को एक बहुत बड़ा सेवा प्रदान करने वाला यानी : प्रदाता है जिसकी सेवाएँ उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 3.
सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास के रूप में क्या किये गए हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-
सेवा क्षेत्र में आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण अभूतपूर्व प्रगति हुई है। यह रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत आए दिन मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं। भारत द्वारा 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाने से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए आमंत्रित हुईं, उन्हें भारत में व्यापार करने के लिए प्रोत्साहन और सुरक्षा प्रदान की गई जिसके कारण रोजगार में बढ़ोत्तरी हुई खासकर सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन होने से भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगा। बहुराष्ट्रीय कंपनी के बहुत सारे कारखाना या यूनिट खुलने से मजदूरों को काम मिलने लगा जिससे मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। परिणामस्वरूप वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया।

सरकार द्वारा व्यापार में उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में कंपनियों द्वारा रोजगार में सृजन होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को बल प्रदान हुआ है और हमारा सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी हुई है। सरकार के उदारीकरण के अन्तर्गत फैक्टरी या कंपनियों को न्यूनतम दर पर देश में आमंत्रित करने से रोजगार में सृजन हुआ है। अत: 90 के दशक के बाद उदारीकरण से सेवा क्षेत्र में अधिकतम रोजगार की सम्भावनाएँ बनी हैं। अत: सेवा क्षेत्र में बैंकिंग व्यवसाय, इनस्योरेंस, स्कूटर एवं मोटरगाड़ी उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग इत्यादि में रोजगार की बहुतायात में सृजन हुआ है। वास्तव में सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास सराहनीय है।

प्रश्न 4.
गैर-सरकारी संस्था किस प्रकार सेवा क्षेत्र के विकास को सहयोग करती है, उदाहरण देकर लिखें।
उत्तर-
जब सरकारी अपने द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को गैर-सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लोगों को पहुंचाने का कार्य करती है अथवा लोग स्वयं अपने प्रयास से ऐसे सेवाओं के सजन से लाभान्वित होते हैं तो उसे गैर-सरकारी सेवा के अन्तर्गत रखते हैं। इसके अन्तर्गत ब्यूटी पार्लर, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ, स्वरोजगार सेवाएँ, बस सेवा, विमान सेवा इत्यादि हैं। इन गैर-सरकारी सेवा क्षेत्र से अधिकतम रोजगार का सजन होता है जिससे सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोत्तरी होती है। गैर-सरकारी सेवा के स्तर में सुधार होता है।

भारत की बढ़ती हुई जनसैलाब की दिन प्रतिदिन आवश्यकता असीमित होती जा रही है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार के उद्योगों का विस्तार हो रहा है। नए-नए कवल कारखाने खोले जा रहे हैं। गैर-सरकारी के अन्तर्गत विभिन्न रोजगार के अवसर होने से सेवा क्षेत्र में बढ़ोतरी हो रही है। लोग सेवा क्षेत्र में जाने को उद्धत हो रहे हैं क्योंकि पराश्रिमिक गैर-सरकारी संस्था द्वारा ज्यादा दिया जा रहा है जिससे लोगों की रुचि गैर-सरकारी संस्था की तरफ बढ़ रही है। गैर-सरकारी संस्था सेवा क्षेत्र के विस्तार को महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है।

प्रश्न 5.
वर्तमान आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत के सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा? लिखें।
उत्तर-
वर्तमान मंदी के कारण सेवा क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है। उपभोक्ताओं की मांग बढ़ी है परन्तु उत्पादकों को लागत मूल्य से भी कम आय प्राप्त हो रही है। यही कारण है कि विकसित राष्ट्रों से तकनीकी वैज्ञानिकों को छंटनी कर रोजगार से मुक्त कर दिया गया। इसका प्रभाव भारत के उन वैज्ञानिकों पर भी पड़ा जो दूसरे राष्ट्र में रोजगार कर रहे थे। उत्पादकों को उत्पादन क्रिया शिथिल करना पड़ गया। अत्यधिक घाटे के कारण विकसित राष्ट्रों में आत्महत्या करने जैसी घटनाएं होने लगीं। कई वित्तीय संस्थाओं को अमेरिका में अपनी सेवा बंद कर देनी पड़ी। इस प्रकार वर्तमान मंदी का प्रभाव विकसित राष्ट्रों पर काफी प्रतिकूल पड़ा। भारत पर इसका असर कम पड़ा क्योंकि यहाँ का पूँजी बाजार काफी मजबूत अवस्था में अभी भी है। यहाँ के इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोती में लगे हुए हैं। खासकर भारत का सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र काफी मजबूत है और पूरे विश्व में हमारे इंजीनियरों का स्थान अव्वल है।

हमारी आधारभूत संरचना कमजोर होने के बावजूद वर्तमान मंदी का असर हमारे देश पर कम पड़ा। भारत के बंगलोर जैसे शहर की सूचना प्रौद्योगिकी विश्व के अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी की श्रेणी में आ गयी है। इस प्रकार विश्वव्यापी आर्थिक मंदी विश्व के अधिकांश भागों पर दिखाई पड़ी। भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण यहाँ आर्थिक मंदी का प्रभाव कम ही देखा गया। फिर भी भारत इससे अछूता नहीं रहा। इस मंदी का असर विकसित देशों पर ज्यादा पढ़ा, क्योंकि वे देश पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देश थे। उद्योग-धंधे का वर्चस्व था। भारतीय पूँजी बाजार की मजबूती उच्च मानवीय श्रमिक की दक्षता एवं विशाल श्रम शक्ति के कारण यह आशा व्यक्त की जाती है कि भारत 21वीं शताब्दी में विकसित देशों की श्रेणी में आ सकेगा। अत: यह कहना होगा कि वर्तमान में आर्थिक मंदी का असर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन, जापान एवं अरब देश इत्यादि पर ज्यादा प्रभावी था, परन्तु भारत पर इसका असर कम ही था।

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