Bihar Board Class 10 Economics मुद्रा, बचत एवं साख Notes

प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य का व्यापार वस्तु-विनिमय पर आधारित है।

  • विनिमय के दो रूप है-(i) वस्तु विनिमय प्रणाली एवं (ii) मौद्रिक विनियम प्रणाली।
  • वस्तु विनिमय प्रणाली के अंतर्गत किसी वस्तु या सेवा का विनिमय किसी अन्य वस्तु या सेवा के साथ प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
  • वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहने संयोग का अभाव था।
  • एक सामान्य मापदंड के अभाव में वस्तु-विनिमय प्रणाली के अंतर्गत दो वस्तुओं के बीच विनिमय का अनुपात निश्चित करना कठिन था।
  • इस प्रणाली में धन या संपत्ति के संचय का कार्य भी अत्यंत कठिन था।
  • वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों ने ही मुद्रा को जन्म दिया।
  • मुद्रा का विकास मानव आविष्कारों में एक महान आविष्कार है।
  • मुद्रा न वस्तु विनिमय प्रणाली के दोषों को दूर कर दिया।
  • मुद्रा विनिमय का माध्यम है तथा आज सभी वस्तुओं का विनिमय मुद्रा के माध्यम से होता है।
  • मुद्रा मूल्यमापन तथा संपत्ति के संचय का कार्य भी करती है।
  • मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर अर्थविज्ञान घूमता है।
  • बचत आय का वह भाग है जिसका वर्तमान में उपभोय नहीं किया जाता है।
  • बचत को प्रभावित करनेवाला सबसे महत्वपूर्ण तत्व आय का स्तर है।
  • आय में वृद्धि होने से बचत के अनुपात में भी वृद्धि होता है।
  • साख का संबंध भरोसा या विश्वास करने से है।
  • आर्थिक दृष्टि से किसी व्यक्ति या संस्था की साख से उसकी ईमानदारी तथा ऋण लौटाने की क्षमता काम्बोध होता है।
  • मुद्रा के विस्तार के बाद साख प्रणाली का बहुत अधिक विस्तार हुआ है।
  • व्यावसायिक बैंकों द्वारा दिए जानेवाले ऋण को साख-मुद्रा कहते हैं।
  • व्यावसायिक बैंक अपनी नकद जमाराशि के आधार पर ही साख का निर्माण करते हैं।
  • आय तथा उपभोग का अंतर बचत कहलाता है।
  • आजकल प्लास्टिक मुद्रा (ए.टी.एम. सह डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड) का प्रचलन है।
  • दो रुपये तथा इससे अधिक के सभी कागजी मुद्रा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा चलाया जाता है।
  • एक रुपया का कागजी मुद्रा तथा सभी प्रकार के सिक्के केन्द्र सरकार के वित्त विभाग द्वारा चलाया जाता है।