Bihar Board Class 10 Economics अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास Notes

  • मानव सभ्यता का इतिहास विकास का इतिहास है।
  • अर्थव्यवस्था- एक देश या क्षेत्र-विशेष की व्यवस्था जिसके अंतर्गत समस्त आर्थिक क्रियाओं का संपादन होता है।
  • आर्थिक क्रियाएँ-वे सभी कार्य, जिनमें हमें आय की प्राप्ति होती है जैसे किसान मजदूर, कारीगर का कार्य आदि।
  • अनार्थिक क्रियाएँ-वे क्रियाएँ जिनसे हमें आय की प्राप्ति नहीं होती है, जैसे-भावपूर्ण किया गया कार्य टीचर या मजदूर का।
  • स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था– पूँजीवादी व्यवस्था, समाजवादी व्यवस्था, मिश्रित अर्थव्यवस्था।
  • पूँजीवादी अर्थव्यवस्था- इसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व निजी या निजी संस्था के हाथों में रहता है।
  • समाजवादी अर्थव्यवस्था- इसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व, प्रबंध और संचालन सरकार के हाथों में होता है।
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था- इसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार एवं निजी दोनों के हाथों में होता है। विकास के आधार पर अर्थव्यवस्था
  • विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था।
  • भूमि, श्रम, पूँजी और संगठन उत्पादन के साधन कहलाते हैं।
  • किसी देश के प्राकृतिक तथा भौतिक साधन और उसके मानवीय प्रयत्न अर्थव्यवस्था की सृष्टि करते हैं।
  • मनुष्य की आवश्यकताओं की संतुष्टि से संबंधित समस्त आर्थिक क्रियाओं एवं कार्यों का संपादन अर्थव्यवस्था में होता है।
  • अर्थव्यवस्था जीवनयापन के लिए अपनाई गई आर्थिक व्यवस्था है।
  • आर्थिक विकास का तात्पर्य उत्पादन एवं आय में होनेवाली वृद्धि से है।
  • आर्थिक क्रियाओं के आधार पर अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्र हैं- (i) प्राथमिक क्षेत्र (ii) द्वितीयक क्षेत्र और (iii) तृतीयक क्षेत्र।
  • प्राथमिक क्षेत्र के उदाहरण- कृषि, पशुपालन, वानिकी, मत्स्यग्रहण खनन आदि।
  • द्वितीयक क्षेत्र के उदाहरण- विनिर्माण, निर्माण, विद्युत, गैस तथा जलापूर्ति इत्यादि।
  • तृतीयक क्षेत्र – परिवहन, संचार, भंडारण, व्यापार, बैकिंग बीमा, सार्वजनिक प्रशासन इत्यादि।
  • प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है।
  • द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहते हैं।
  • तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।
  • वर्तमान में आर्थिक प्रगति में सेवा क्षेत्र सबसे अधिक योगदान दे रहा है।
  • प्रचलित विचारधारा के अनुसार राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय में होनेवाली वृद्धि आर्थिक
    विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
  • आर्थिक विकास एवं मौद्रिक विकास दोनों ही पारस्परिक सहयोगी क्रियाएँ हैं।
  • समावेशी विकास में समाज के सभी वर्गों के जीवन स्तर को ऊपर लाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • सतत विकास में वर्तमान पीढ़ी एवं भाती पीढ़ी दोनों के विकास का समान ख्याल रखा जाता है।
  • आधुनिक अर्थशास्त्रियों में आर्थिक विकास को जीवन की भौतिक गुणवत्ता तथा मानव विकास से जोड़ने का प्रयास किया है।
  • प्राकृतिक संसाधन, पूँजी निर्माण तकनीकी विकास, मानवीय संसाधन आदि विकास के आर्थिक कारक है।
  • आर्थिक विकास के गैर-आर्थिक कारकों में राजनैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संस्था महत्वपूर्ण है।
  •  बिहार आर्थिक विकास के प्रायः सभी मापदंडों पर देश के अन्य सभी राज्यों से नीचे है।
  • बिहार में उर्वर भूमि एवं जल संसाधन के रूप में प्राकृतिक संसाधनों का विशाल भंडार है तथा इसमें विकास की अपार संभावनाएँ वर्तमान हैं।