Bihar Board Class 10 Disaster Management Subjective Chapter 2 प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ सुखाड़

 


लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बाढ़ कैसे आती है ? स्पष्ट करें।.
उत्तर-
मॉनसन की अनिश्चितता के कारण बाढ़ आती है। भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार जल के देवता इन्द्र को माना जाता हैं जिनकः क्रोधित होने से अनावृष्टि होती है और बाढ़ आती है किन्तु वर्तमान में मानवीय कारण माना जाने लगा है। जैसे—बाढ़ को रोकने के लिए बाँध और तटबंध बनाये गये हैं। जब जल का स्तर बढ़ जाता है तो बाँध और तटबंध टूट जाते हैं जिससे बाढ़ आती है।

प्रश्न 2.
बाढ़ से होनेवाली हानियों की चर्चा करें।
उत्तर-
बाढ़ आने से अनेक हानियां होती हैं जिससे इसमें अधिक जनसंख्या प्रभावित होती है। महामारी फैलना, मकानों का गिरना, फसलों की बर्बादी होती है।

प्रश्न 3.
बाढ़ से सुरक्षा हेतु अपनाई जानेवाली सावधानियों को लिखें।
उत्तर-
बाढ़ की विनाशलीला को रोकने के लिए बांध और तटबंध का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन इसमें कुछ खामियों के चलते इस प्रबंध पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। इसके लिए वर्तमान समय में विश्व के कई देशों ने नदियों पर बाँध न बनाकर कृत्रिम जलाशय का निर्माण किया है तथा जल की निकासी इस प्रक्रिया से होने की प्रबंधन होता है जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न न हो। बाढ़ से सुरक्षा हेतु सावधानियाँ निम्न प्रकार हैं

  • ऐसे इमारतों/भवनों का निर्माण रसायन मिश्रित कच्चे मालों का प्रयोग हो जिससे बाढ़ के बावजूद मकान बर्बाद नहीं हो सके।
  • आमलोगों को सलाह देना कि मकानों का निर्माण पूर्णतः नदी के किनारे तथा नदी के संकरी ढालों पर नहीं करना चाहिए। नदी से मकान से दूरी कम-से-कम 250 मी. होनी चाहिए।
  • इसके लिए तात्कालिक व्यवस्था होनी चाहिए। इस कार्य में पंचायत द्वारा बाढ़ के पूर्व पर्याप्त पंपसेट की व्यवस्था चाहिए।
  • स्तंभ (Pillar) आधारित मकान होनी चाहिए और स्तंभ की गहराई काफी होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
बाढ़ नियंत्रण के लिए उपाय बताएँ।
उत्तर-
बाढ़ नियंत्रण के लिए मुख्य रूप से दो तरह के उपाय बताये गये हैं जिनमें एक है। वैकल्पिक प्रबंधन और दूसरा पूर्व सूचना प्रबंधन।

1. वैकल्पिक प्रबंधन-वैकल्पिक प्रबंधन में पारिस्थितिकी के अनुरूप टिकाऊ प्रबंधन को प्राथमिकता दी गई है। इसमें भवनों का निर्माण, मकान का निर्माण नदी से दूर, मकान की दीवार, सीमेंट, कंक्रीट से और स्तंभ का निर्माण काफी गहराई का बताया गया है।

2. पूर्व सूचना प्रबंधन इसमें सुदूर संवेदन सूचनाएँ निश्चित रूप से एकत्रित की जानी चाहिए। पूर्व सूचना पर विद्यालय बंद कर देना चाहिए और स्थानीय अस्पताल में डॉक्टर और दवाई की व्यवस्था होनी चाहिए। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के लोगों को तैराकी का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, गाँव विद्यालय और पंचायतों में स्वीमिंग जैकेट की व्यवस्था होनी चाहिए। डी. टी. टी. का छिड़काव, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव और मृत जानवरों को शीघ्र हटने की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे बीमारी से बचा जा सकता है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में स्वयंसेवी संस्था आपसी भेदभाव-भुलाकर गांव के ऊंचे भवनों में एकत्रित होना चाहिए और महामारी फैलने पर जल, नमक, चीनी का घोल तथा भोजन और कपड़े की व्यवस्था होनी चाहिए।

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प्रश्न 5.
सूखे की स्थिति को परिभाषित करें। .
उत्तर-
वर्षा की अत्यधिक कमी के कारण जो समस्या उत्पन्न होती है उसे सुखाड़ की संज्ञा दी जाती है। इससे आम लोगों के सामने तीन बड़ी समस्या होती है-

  • फसल न लगने से खाद्यान्न की कमी
  • पेयजल की कमी
  • मवेशियों के लिए चारे की कमी।

प्रश्न 6.
सुखाड़ के लिए जिम्मेवार कारकों का वर्णन करें।
उत्तर-
वर्षा का न होना मुख्य रूप से सुखाड़ का कारण माना जाता है।

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प्रश्न 7.
सुखाड़ से बचाव के तरीकों का वर्णन करें।
उत्तर-
सुखाड़ जैसी आपदा के प्रबंधन हेतु दो प्रकार की योजनाएं आवश्यक हैं। ये हैं-दीर्घकालीन और लघुकालीन। दीर्घकालीन योजना के अंतर्गत नहर, तालाब, कुआँ; पइन, आहर के विकास की जरूरत है। नहर के माध्यम से जलाशयों में जल लाया जा सकता है। कोसी कमांड क्षेत्र, गंडक कमांड क्षेत्र तथा चंदन-किउल-बरूआ कमांड क्षेत्र, सुखाड़ के समय नहर प्रबंधन के द्वारा प्राकृतिक आपदा को कम करने का प्रयास है। तालाब बनाने का मूल उद्देश्य जलसंग्रहण है। कुएँ से भूमिगत जल का उपयोग होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार में बाढ़ की स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर-
संपूर्ण भारत या विश्व में बिहार की बाढ़ का भयानक रूप अपना अलग स्थान रखता है। बिहार में कोशी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है। इसकी विभीषिका तो इतनी भयावह होती है कि 2008 ई. में आई बाढ़ ने विश्व स्तर पर मदद देनी पड़ी। इसमें बर्वादी का आंकड़ा भी लगाना मुश्किल है। 2008 ई. में भारत-नेपाल सीमा पर कुसहा के पास तटबंध टूटने से आई बाढ़ ने भी कोशी की धारा ही बदल दी। कारण स्पष्ट है कि बिहार के उत्तर में नेपाल है जो नदियों का मास स्थल है। नेपाल द्वारा छोड़े गए जल सबसे पहले बिहार में ही प्रवेश करता है जो कोशी, कमला बलान, गंडक इत्यादि नदियों द्वारा अपना भयावह रूप लेती है और संकट उत्पन्न हो जाता है।

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प्रश्न 2.
बाढ़ के कारणों एवं इसकी सरक्षा-संबंधी उपायों का विस्तृत वर्णन करें। .
उत्तर-
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जिसके कारण अधिक संख्या में जान-माल का नुकसान होता है।
बाढ़ के निम्न कारण हैं।

  • नदियों में अधिक मात्रा में वर्षा जल के पहुंचने से बाढ़ आती है।
  • वर्षा जल के साथ नदी की घाटी में मिट्टी के जमा होने से भी बाढ़ आती है।
  • वनस्पतियों की कटाई के कारण बाढ़ होती है।
  • कमजोर तटबंध के टूटने से बाढ़ आती है।

बाढ़ से सुरक्षा संबंधी निम्न उपायों को किया जा सकता है

  • बाढ़ की सूचना प्राप्त होते ही उस क्षेत्र के लोगों को हटा देना चाहिए।
  • बाढ़ पूर्व की दवा, खाद्य एवं पेयजल की सुविधा उपलब्ध कर लेनी चाहिए।
  • नदियों के तटबंधों का नियमित मरम्मत कार्य होते रहना चाहिए।
  • सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा राहत कार्य किया जाना चाहिए।
  • मानव समाज को इस दिशा में जागरूक करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
सुखाड़ के कारणों एवं इनके बचाव के तरीकों का वर्णन करें।
उत्तर-
Yख्य रूप से वर्षा की अत्यधिक कमी को सुखाड़ कहा जाता है। इससे बचाव के लिए निम्नलिखित कारण बताए गए हैं- . .
सुखाड़ के बचाव के लिए दो प्रकार की योजनाएं आवश्यक हैं-दीर्घकालीन एवं लघुकालीन। दीर्घकालीन योजना के अंतर्गत नहर, तालाब, कुंआ, पइन, आहिर के विकास की जरूरत है। लघुकालीन योजना में भूमिगत जल का संग्रहण, वर्षा जल का संग्रहण आवश्यक है। ऊपर वर्णित दीर्घकालीन योजना द्वारा जल का संग्रह कर सुखाड़ से बचा जा सकता है। लघुकालीन योजना में बोरिंग के माध्यम से जल निकाला जाता है। ड्रिप सिंचाई एवं छिड़काव सिंचाई (Sprinklen Irrigation) के द्वारा भी भूमिगत जल का उपयोग पारिस्थितिकी के अनुरूप किया जाता है। वर्षा का संग्रहण पाइन द्वारा एक बड़े टंकी में किया जाता है। भारत के कई राज्यों में इसका संग्रह कुंड या तालाब बनाकर किया जाता है। वर्षा जल संग्रहण तकनीक सुखाड़ के दिनों में वरदान साबित हो सकता है।

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